तुलसी
(ओसिमम टेन्वाइफोलियम या सेंक्टम)
हर घर आंगन में मिलता
अति पवित्र पौधा मानते
विष्णु या श्रीकृष्ण रूप में
तुलसी को जन पहचानते,
दो रूप होते हैं तुलसी के
राम, श्याम रूप कहलाए
सुबह सवेरे से पूजा होती
बिगड़े काम सभी बनाए,
विष्णु का रूप होता यह
अत: इसे काटना है पाप
पत्ते नहीं चबाने चाहिए
वरना दांतों को लगे शाप,
कार्तिक में तुलसी विवाह
धूमधाम से मनाया जाए
आयुर्वेद का आधार होता
कई रोगों को दूर भगाए,
देव-दानवों का युद्ध हुआ
धन्वंतरि अमृत ले आया
खुशी के मारे अश्रु गिरी
तुलसी वहां उसमें पाया,
पत्तों को अन्न में मिला दे
कीट दूर ही भाग जाएंगे
पत्ते करे प्रतिदिन प्रयोग
घातक कैंसर भाग जाएंगे,
अल्प बुद्धि तेज करनी हो
तुलसी के पत्ते करे प्रयोग
बुखार, सर्दी, खासी रोग
भागते मिलेंगे यह संयोग,
गले का रोग हो जाता है
या सांस का रोग सताता है
गुर्दे की पथरी की परेशानी
सभी में करामात दिखाता है,
तनवा को कर देता यह दूर
खून को साफ कर देता है
कीट काट जाते जब कभी
उनको भी दूर कर देता है,
आंखों के रोग जब लगते
त्वचा के रोग जब मिलते
सिरदर्द जैसे रोग सताते हैं
मुरझाए भी चेहरे खिलते।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
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