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Thursday, December 12, 2019

  सरसों 

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ब्रासिका कैंपेस्ट्रीज

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उत्तरी भारत में खाद्य तेलों का प्रमुख स्रोत सरसों है। सरसों जहां ब्रासिका कैंपेस्ट्रीज नाम से जानी जाती है वहीं यह पीले, भूरे, काले आदि कई रंगों में पाई जाती है जिनके अलग-अलग गुण और उपयोग है। सरसों सर्दी में उगाई जाने वाली एक फसल है जिसमें असंतृप्त वसा पाई जाती है। कमरे के ताप पर नहीं जमती इसलिए शरीर के लिए ज्यादा बेहतर मानी जाती है।

 पुराने समय से विभिन्न प्रकार के पदार्थ सरसों से बनाए जाते रहे हैं। सरसों फूल आने से पूर्व गहरे हरे रंग में पाई जाती है जिसकी कई प्रकार की सब्जी बनाई जाती है। पंजाब में सरसों की का साग और मक्का की रोटी दूरदराज तक प्रसिद्ध है। भाजी,दाल सरसों, सरसों का रायता, आलू सरसों की सब्जी बनाकर खाई जाती हैं। वही सरसों का तेल सर्वोत्तम माना जाता है।

 शरीर के लिए एक बेहतर तेल सरसों का ही है। वही आहार के रूप में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाने में भी इसका कोई मुकाबला नहीं है। यही कारण है कि लोग देशी घी एवं वनस्पति घी को छोड़कर विशेषकर सरसों के तेल की ओर आकर्षित हो रहे हैं। सरसों पीले रंग की उत्सव में प्रयोग की जाती। सरसों को मस्टर्ड कहते है। वर्तमान के यूनानी भाषा के मस्टम से लिया गया है जिसका अर्थ है-युवा शराब। सरसों कुछ पेय बनाने के लिए भी काम में लाई जाती है। सरसों की सबसे बड़ी विशेषता है कि सरसों में वसा बहुत कम पाई जाती है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, शुगर फाइबर आदि भी बहुत कम मात्रा में मिलते हैं किंतु मैग्नीशियम ,पोटेशियम, सोडियम अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसकी महक विशेष प्रकार की होती जो दूर से महसूस की जा सकती है। यह एंटीबैक्टीरियल नाम से जानी जाती है जिसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। सरसों तेल की मालिश की जाती है वहीं उत्तरी भारत में बेहतरीन फसल है। किसानों के लिए जहां ईंधन भी प्रदान करती है वहीं उनकी आय का स्रोत है। सरसों किसानों के लिए चारा प्रदान करती है जिसे दुधारू पशुओं का पालन करते समय प्रयोग करते हैं। सरसों का तेल सभी ट्रेनों में बेहतर माना जाता है। यह हृदयघात, बीपी तथा विभिन्न शारीरिक रोगों से बचाने में अहं रोल अदा करती है।

 ** होशियार सिंह, लेखक कनीना, महेंद्रगढ़ हरियाणा**



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