सोंकस
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सोंकस एस्पर
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सोंकस एक जंगली पौधा है जो शाक के रूप में पाया जाता है। एक वर्ष की अवधि तक चलने वाला पौधा सोंकस है जिसके पत्ते कांटेदार होते हैं, पीले फूल आते हैं। फूल बीज में बदलते हैं तो हवा में उड़ते रहते हैं। डेंडलियन फूल जैसे मिलते जुलते फूल हैं।इसके पूरे शरीर से दूधिया रस बाहर निकलता है जब इसे काटा जाता है तो। यह यूरोप उत्तरी अमेरिका, पश्चिम एशिया में पर्याप्त मात्रा में मिलता है। यह एक खरपतवार के रूप में जाना जाता है। इसके पत्ते खाए जाते हैं, सलाद के रूप में उपयोग में लाया जाता है। सोंकस के पत्ते और तना कच्चे या पका कर कुछ जगह खाते हैं, सलाद के रूप में भी पालक की भांति प्रयोग किए जाते हैं। इसका रस खाने से पहले धो दिया जाता है वरना कड़वाहट पैदा होता है। इसको जले हुए को ठीक करने के लिए भी काम में लेते हैं।
इस पौधे को स्पिनी थिसल नाम से जाना जाता है। इस पौधे को कुछ जगह दूधी नाम से जाना जाता है। पानी और हवा द्वारा इसके बीज उड़ कर दूर चले जाते हैं। सर्दियों में यह हरियाणा विशेषक दक्षिणी हरियाणा में अधिक मिलता है। यह फसल में खरपतवार का काम करता है तथा इधर उधर खड़ा देखा जा सकता है।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा**
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