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Sunday, December 22, 2019

 मोर्निंग गलोरी
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आइपोमई कार्नी  
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मोर्निंग गलोरी पौधा जिसे बेशर्म बेहया नामों से जाना जाता है। इस जग में इंसान ही बेहया या बेशर्म नहीं कहलाते अपितु प्रकृति के कुछ पौधे विशिष्ट नामों से जाने जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ने वाला विलायती आक इसे बेहया/बेशर्म पौधा कहते हैं। इसे वैज्ञानिक भाषा में आइपोमई कार्नी नाम से जाना जाता है। यह पौधा कठिन से कठिन परिस्थिति में जीवित रह सकता है। बड़े-बड़े फूल होते जो नदी/जोहड़/तालाब के किनारे मिल सकता है।
 बार बार काटे जाने के बाद भी यह जीवित रहता है। इसका अस्तित्व समाप्त नहीं होता इसलिए इस बेशर्म/बेहया पौधा भी कहते हैं।
पौधे के फूल गुलाबी रंग के आते हैं तथा कभी-कभी गुलाबी-सफेद बन जाते हैं। इस पौधे जैविक कीटनाशक के रूप प्रयोग किया जाने लगा है। किसान इसकी पत्तियां, नीम की पत्तियां और धतूरे की पत्तियां, गोमूत्र में उबालकर फसलों में छिड़काव करते हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
वैज्ञानिकों ने दीमक को भगाने और मारने की औषधि तैयार करने जा रहे है। दीमक भारी मात्रा में लोगों को नुकसान पहुंचाती है। इसी पौधे की दवा बनेगी जो रासायनिक दवाओं से काफी सस्ती होगी। झाड़ीनुमा पौधा बेहया नाम से जाना जाता है।
इस पौधे के पत्ते बहुत बड़े बड़े होते हैं वही फूल भी बहुत बड़े बड़े होते हैं। जिस भी जगह इसकी टहनी या जड़ भूमि में लगा दी जाए वहीं पर यह पूरा पौधा बन जाता है वहीं इसकी वृद्धि त्वरित होती है।
 पौधे की सबसे बड़ी विशेषता है कि गर्मी,सर्दी,बरसात हर मौसम में जीवित रहता है और फूलों से लदा रहता है। पौधे के पत्तों में जहां सफेद रंग का दूध जैसा पदार्थ मिलता है जो शरीर के किसी अंग के कटने पर प्रयोग किया जाता है।
इसको विशेष रूप से बाड़ के रूप में, जलाने के  या खेत के चारों ओर लगाने में काम में लाया जाता है। इसको कोई जीव-जंतु भी नहीं खाता और यह खरपतवार के रूप में फैलता जा रहा है। इस पौधे से जहां गरीब लोग काटकर सुखाकर इंधन के रूप में प्रयोग करते हैं वही इस पौधे को जहरीला माना जाता है। विषय विलायती आक नाम से जाना जाता है क्योंकि इसमें आक की तरह दूध पाया जाता है।
इस पौधे की सबसे बड़ी विशेषता है कि जहां भी लगाना चाहे लग जाता है, फूलों से लदा रहता है तथा इस पौधे केें फूलों में किसी प्रकार की


खुशबू का बदबू नहीं होती। यह प्रकृति का अजीबोगरीब पौधा कहलाता है।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,महेंद्रगढ़, हरियाणा**

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