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Saturday, December 28, 2019

कंटकारी
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कंटेली/कंटेरी
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भटकटैया/नाइटशेड
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सोलेनम जेंथोकार्पम
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कंटेली बहुत उपयोगी शाक धरती पर फैली अवस्था में मिलती है। कंटकारी/भटकटैया/ येलो बेरीड नाइट्सशेड नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सोलेनम
जेंथोकार्पम होता है।

 यह बहु वर्षीय पौधा होता है जिसके लंबे लंबे कांटे पाए जाते हैं। पौधे पर धारीदार हरे,पीले, लाल फल लगते हैं। वहीं विभिन्न रंगों के फूल जिनमें नीली पंखुडिय़ा होती तथा पुंकेसर पीले रंग के मिलते हैं। इसके फल जहां हरे रंग के होते किंतु पक जाने पर पीले हो जाते हैं। जिनमें लेई भरी होती है तथा भारी संख्या में बीज पाए जाते हैं। बीज बहुत छोटे तथा चिकने होते हैं।
भारत के सूखे क्षेत्र में बहुत अधिक पाया जाता है। कंटकारी नाम से प्रसिद्ध पौधा ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत प्रसिद्ध है, जो सड़क, रेलवे ट्रैक, परती भूमि में भारी मात्रा में मिलता है।
 यह बैंगन कुल का पौधा है जिसे सोलेनम जैंथोकार्पम नाम से जाना जाता है। इसके पूरे ही भाग पर बड़े बड़े शूल पाए जाते हैं जिसके चलते इसे छू पाना कठिन हो जाता है। पत्तियां भी खंडित अवस्था में पाई जाती है। फल कचरी या बेर जैसे होते हैं जिन पर सफेद रंग की धारियां पाई जाती है। यह पौधा बहुत अधिक लाभकारी है तथा विभिन्न दवाओं में काम आता है।
 इस पौधे को ग्रामीण लोग फसर फसाई का टिंडरा नाम से जानते हैं। यह पौधा दशमूल नामक औषधि में काम में लाया जाता है। यह पसीना लाने वाला, ज्वर हारने वाला, कफ, वात नाशक तथा विभिन्न शारीरिक परेशानियों को दूर करने वाला होता है।
 दंत की वेदना में इसका धुआं दिया जाता है। यह कफ नाशक और रक्तशोधक, शुक्र शोधक, हृदय रोग
नाशी,वात,पित एवं कफ नाशी रूप में पाया जाता है।
इस पौधे को कांटो के कारण कंटीली नाम से भी जाना जाता है परंतु औषधीय गुणों से भरपूर पौधा होता है।
सिर के बाल गिर रहे हो उस समय, सिर में रूसी पाई जाए, जुकाम, दांत दर्द, खांसी अस्थमा, उल्टी, पेट दर्द, मुत्र संबंधी विकार गुर्दे की बीमारी, बवासीर आदि रोगों में काम आता है। वही गले की सूजन, पेट के विभिन्न रोगों में बहुत काम आता हैं। इसे कंटीली नाम से भी जानते हैं किंतु यह धरती पर फैली होती है। यह बड़ी कंटेली तथा छोटी कटेली दो रूपों में मिलती है। दिसंबर जनवरी में जाकर ये पौधे सूख जाते हैं।
 इस पौधे से टीबी की दवाइयां, जुकाम,  पेट की जलन, पेट के रोग, आंखों के दर्द दूर किया जाता है वही बुखार में रामबाण है। सांस रोग, दमा आदि में महत्वपूर्ण है। मासिक धर्म, अधिक नींद आना, नाक के रोग, पुराना घाव, मिर्गी, त्वचा के रोग, बच्चों के रोग, मूत्र रोगों को दूर करने के काम आता है।
कंटेली नपुंसकता को दूर करने, कान के कीड़े, जिगर के रोग, पथरी आदि में विशेष लाभकारी है। इसलिए यह पौधा ग्रामीण क्षेत्रों में उपहार माना जाता है। कंटेली का काढ़ा पीने से
खांसी, जोड़ों के दर्द दूर हो जाते हैं। इस पौधे में प्रोटीन, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस आदि तत्व पाए जाते हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। दमा रोग में महत्वपूर्ण है। इसको गुणों को देखते हुए इसे महत्वपूर्ण जड़ीबूटियों एवं अमूल्य जड़ी बूटी नाम से जाना जाता है।








**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, महेंद्रगढ़ हरियाणा***

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