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Wednesday, December 18, 2019

बुई
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इरवा जवानिका
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 हरियाणा में विशेषकर दक्षिणी हरियाणा में बुई नामक पौधा भारी संख्या में खेतों में पाया जाता है। दूर से सफेद रंग के फूलों से लदा नजर आता है। इसे अंग्रेजी भाषा में कपोक बुश नाम से जाना जाता है।
यह जंगली पौधा है जो भारी संख्या में खरपतवार के रूप में देखने को मिलता है। बंजर भूमि पर तो अपने आप उग जाता है और झाड़ी का रूप ले लेता है। धीरे-धीरे बहुत अधिक मात्रा में फैल जाता है। आसपास सफेद फूल बिखरे दिखाई देते हैं। कई वर्षों तक चलने वाला पौधा है ग्रामीण क्षेत्रों में भेड़-बकरी चराने वाले लोगों के लिए अति लाभकारी है।  इस पौधे को खरपतवार के रूप में जाना जाता हैं।
यद्यपि भेड़ बकरियां भी इस पौधे को खा लेती है और चारे के रूप में काम में लाया जाता है। शुष्क क्षेत्र में अधिक संख्या में मिलता है। बालू मिट्टी में खूब उग जाता है। यह एकलिंगी पौधा होता है। इसके भारी संख्या में बीज बनते हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों में उपले बनाने के लिए पतवार के काम करता है वही इसको लोग जलाकर इंधन के रूप में भी काम में लेते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बुई नाम से यह पौधा जाना जाता है वही वैज्ञानिक भाषा में इसे इरवा जवानिका नाम से जाना जाता है। यह पौधा वायु और जल के मिट्टी कटाव को भी रोकता है, वहीं किसानों के लिए एक समस्या बना रहता है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली रूई, सफेद फूल आदि नामों से जानते हैं।
बुई जंगली चौलाई जाति के पौधों से संबंध रखता है। यह पौधा खड़ा और भूमि पर लेटा दोनों रूपों में देखने को मिलता है। कुछ देशों में जहां दवा के रूप में काम आता है वही पशु के पेट के कीड़े निकालने के काम आता है। यह पशुओं के पेट को साफ करने डायरिया को दूर करने के काम आता है।
यह बकरियों की आंखों के दोष दूर करने के लिए काम में लाया जाता है, वही गद्दे भरने के भी काम में लाया जाता है। इसकी जड़े टूथब्रश  बनाने के काम में लाई जाती है जिसे बर्फ झाड़ी नाम से भी जाना जाता है। पौधे की जड़े तना एवं स्पाइक काम में लाए जाते हैं। यह गठिया,त्वचा का टूटना रक्त संबंधी विकार, त्वचा का सूखापन आदि में भी काम में लाया जाता है। इस पौधे से एस्कोरबिक एसिड पत्तों से ग्लूकोसाइड आदि निकाले जाते हैं।
गुर्दे की बीमारियों को दूर करने में भी वही काम में लाया जाता है।

यह पौधा सूखे क्षेत्रों में बहुत उपयोगी माना जाता है यद्यपि प्रमुख खरपतवार है। गुर्दे के पथरी को दूर करने के भी काम आता है वही फूल और जड़े दवा में काम आती है। इस पौधे में 21 फीसदी प्रोटीन पाई जाती है। इसकी 28 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं जिसमें से कुछ दवा में काम आती है।   बुई मलेरिया दूर क



रने, गुर्दे के रोग भगाने में भी काम में लाई जाती है। इसके बीज सिरदर्द दूर करने के काम आता है वहीं पौधे की जड़ों से गरारे करने से दांत दर्द दूर हो जाता है।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**

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