गिलोय या गुड़ुची
(टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया)
जंगल, खेत, पहाड़ी पर
पान के पत्तों जैसी बेल
बहुवर्षीय पौधा होता है
रोगों में दिखाता है खेल,
नीम/आम अमृता अच्छी
आयुर्वेद में कहाए अमृत
बेरी इस पर लगते कभी
बुखार रोग में यह अमृत,
शरीर के तीनों ताप हरती
रक्तशोधक, हृदयरोगनाशी
लीवर का टोनिक कहाए
जूस पीओ जब हो खांसी,
पीलिया रोग में है कारगर
जन-जन की भूख बढ़ाए
खून कमी को दूर कर देती
खून के जहर को भी घटाए,
त्वचा जलन का दूर करती
कान, पेट दर्द को दूर करती
आंखों के लिए यह कारगर
खाज और खुजली दूर करती,
मोटापा रोग को दूर करती है
शरीर की वात को कम करे
कफ शरीर में जब बनता हो
गिलोय काढ़ा पीओ नहीं डरे,
जब पीत शरीर में बढ़ता हो
अमृता उसमें रामबाण होती
स्वाइन फलू जब फैलता हो
गिलोय उसमें कारगर होती,
प्राचीन समय से प्रयोग करते
पूरे भारत में यह पाई जाती
तने का भाग काटकर रोपते
हवाई जड़े इसके उग आती,
आयुर्वेद का अमृत होती है
प्रयोग करे जरूर इसका रस
बीमार व्यक्ति प्रयोग करे तो
खुल जाती उसकी नस-नस।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
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