कोमेलाइना
(कोमेलाइना डिफुजा)
घास से मिलता जुलता पौधा
नीले फूलों से करे आकर्षित
क्लाइंबिंग डे फलोवर नाम है
जन-जन का करता यह हित,
स्प्रेडिंग डे फलोवर कहलाता
यूएस में बताई इसकी उत्पत्ति
गांठों वाला तना मिलता इसका
नीले फूल लगते बड़ी है पत्ती,
नम जगह पर मिले यह शाक
चीन इसे कहे होनोहोनो घास
कैप्सूल के रूप में लगता फल
कई रोगों को दूर करे हो पास,
बहुवर्षीय होता कभी यह शाक
घास में फूलों से होती पहचान
मूत्र रोगों को कर देता यह दूर
सुंदरता ही इसकी बनाती शान,
नीली डाई इसके फूलों से बने
चीन बनाता इससे कई दवाइयां
गहरा घाव शरीर पर बन जाता
पत्ती एवं तना घिस लेप लगाया,
पत्ती इसकी कई जगह पकाते हैं
उच्च रक्तचाप में घास आए काम
चिकन को ये घास खिलाई जाए
मरहम बनाने में यह आती काम,
अनियमित हो अगर माहवारी तो
पत्ते से इसका हो जाता है उपचार
बहु उपयोगी पौधा हो कोमेलाइना
पत्तों में मिलती एक चिकनी लार।
*होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत*
बन तुलसी
(क्रोटोन बोनप्लेंडियम)
जंगली, खरपतवार रूप में
मिलता एक वार्षिक पौधा
जंगली तुलसी कहलाता है
तुलसी जैसा इसका होदा,
झाड़ी रूप में पाया जाता है
पत्ते इसके जैसे हो तुलसी
जंगल में खुद उगता है यह
कहलाती झाड़ी बन तुलसी,
फूल दूर से दिखाई पड़ते हैं
पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं
जहरीला होती है तासीर भी
जहरीले इसके पत्ते होते हैं,
अगर छूकर इसके पत्तों को
आंखों से लगा लेता है कोई
जलन आंखों में पैदा हो जाए
लगती हैं आंखें रोई हो रोई,
ईंधन के रूप में काम का है
राख भी डिटर्जेंट काम करती
सूती कपड़ों को धो डालती है
जन मानस की सेवा है करती,
त्वचा के विभिन्न रोग दूर करे
पत्ते का लेप लगाया है जाता
एंटी आक्सीडेंट प्रदान करती
घावों हो तो लेप लगाया जाता,
किसान के लिए यह खरपतवार
करता रहे इस पर ही हर वार
झाड़ी चूहों की शरण स्थली है
सांप, शशक करते इससे प्यार।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत**
पुवाड़
(सेन्ना टोरा या केजिया टोरा)
फलीदार एक शाक होता
एशिया की उत्पत्ति कहाए
कई रूपों में मिलता पुवाड़
खाने पर इंसान को हंसाए,
सिकल सेन्ना, काफी पोड
जंगली सेन्ना, रिंगवार्म पौधा
कई नामों से जाना जाता है
जंगल में ऊंचा होता ओधा,
पीले रंग के फूल लगते हैं
हरे पत्तों वाली होती शाक
लंबी-लंबी फली लगती हैं
सब्जी बना जमा लो धाक,
फूल इसके भोजन का रूप
सोजिश को दूर कर देता है
भूरे रंग के बीज बनते यहां
अनेकों खनिज यह देता है,
काफी के रूप में काम आए
त्वचा के रोगों को करता दूर
पत्ते एक्जिमा को भगा देते
रिंगवोर्म का करे चकनाचूर,
बदहजमी, खांसी,हृदय रोग
पेट के रोगों में गुणकारी है
पत्तों से एलर्जी रोग दूर हो
वात दोष दूर की तैयारी है,
कफ को पल में दूर करता
विषैले कीट खाए तो प्रयोग
पत्ते व फल कोढ़ में उत्तम
कोलस्ट्राल को करे निरोग,
खून साफ करता है पुवाड़
लिवर रोगों में हो उपयोगी
दिल के रोगों में गुणकारी
कफ रोगी को करे निरोगी,
कितने ही काम आता यह
सब्जी, कोफ्ता बनाता यह
जंगल, बेणी में मिलता है
बहु उपयोगी पौधा है यह।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत**
पालक
(स्पाइनेसिया ओलेरेसी)
परसियन सब्जी जानी जाती
पालक सब्जी यह कहलाती
30 सेमी तक बढ़े शाक यह
इरान देश उत्पत्ति कहलाती,
हरी पत्तेदार सब्जी गुणकारी
कई विटामिन से भरी हुई है
कई खनिजों से परिपूर्ण होती
पी-पीकर सभी को हरी हुई
कम ऊर्जा, पोषण करता खूब
ओमेगा तीन भी इसमें मिलता
सलाद बने व पकाकर खाते
सर्दी व गमी में खड़ा मिलता,
उत्पादन में चीन है नंबर वन
14वीं शताब्दी से चला आया
कांटेदार बीज कठोर लगते हैं
जिसने खाया शरीर चमकाया,
हृदय को रखता है सही दुरुस्त
आक्सीडेंट शरीर को यह देता
दिमाग को रखता यह तरोताजा
लोहा देकर खून पूर्ति कर देता,
चाट, सलाद, रायता व चटनी
कोफ्ता, सब्जी, पकोड़ा, पनीर
कितनी ही सब्जियों का हमराज
खाते पालक वीर और फकीर,
कुछ व्यक्तियों में करता एलर्जी
पेट की कई बीमारी कर दे दूर
शरीर की जलन, खून की कमी
फटाफट पालक करता यह चूर,
हर जगह आसानी से मिलता है
खट्टे मीठे स्वादों में यह मिलता
घर का वैद्य पालक कहलाता है
पालक पर पीला फूल खिलता।।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत**
बोतल ब्रुश
(कैलिस्टेमोन सिट्रिन्यूस)
लाल रंग की ब्रुश लगती
जैसे लेगी बोतल की ब्रुश
देख-देखकर लाल रंग वो
इंसान हो जाता बड़ा खुश,
गर्म क्षेत्रों में मिलता है यह
सूखा रोधक होता है पौधा
शोभा बढ़ाए घर आंगन की
मन को हर्षित करता पौधा,
कई रंगों के खिलते हैं फूल
लाल, पीले, हरे, संतरी सब
चाय बनाने में आता है काम
पीते रहते प्रसन्न होकर तब,
अक्तूबर माह में खिलते फूल
पक जाते हैं तो बनते हैं बीज
कीड़े मकोड़े आकर्षित होते हैं
मनती उनकी दीवाली व तीज,
पत्तों से बनाई जाती एक डाई
लकड़ी इसकी जलाई है जाती
इसका तेल है सूक्ष्मजीव रोधी
पौधे की कटिंग कर लग जाती,
आंत के परजीवी को दूर भगाए
रिंगवोर्म हो तो उसमें काम आए
बहु उपयोगी पौधा होता है यह
घर आंगन में लाकर उसे लगाए,
गहरी छाया वाला होता है पौधा
जीव इसके नीचे करते है आराम
इंसान का प्यार पलता रह सकता
इस पेड़ के नीचे आकर करे काम,
कई वर्षों तक जीवित रहता पौधा
बचाता हमें गर्मी, सर्दी और धूल
फूल इसका तोड़कर ले आओगे तो
घर में शोभा देता फल और फूल।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत**
मेहंदी
(लावसोनिया इनर्मिस)
हिना नाम से जाना जाए
झाड़ीनुमा जग का पौधा
वर्षों से प्रयोग कर रहे हैं
रंग बिरंगा कहलाए सौदा,
त्वचा, बाल और अंगुली
सिल्क, चमड़ा और ऊन
सुंदरता नहीं बढ़ेगी अगर
बिना रंग के लगते हैं सून,
चाय, सफेदा मिलाते हैं तो
रंग बढ़ जाएगा बहुत खूब
यूनान में प्रयोग होती आई
हरी भरा पौधा ज्यों है दूब,
बालों पर डाई करने से ही
कुछ जन में हो जाए एलर्जी
कला के बल पर जानते हैं
शरीर को नहीं दे यह एनर्जी,
शरीर में ठंडक करती प्रदान
जीवाणु व फंगस को हटाती
टूटे नाखून कर देती है ठीक
लिवर की बीमारी को हटाती,
घर द्वार पर खड़ा मिलता है
फूल, बीज से लद जाता यह
गर्मी में इस पर फल आता है
कई रोगों में काम में आता
दुकान, बाजार में मिलता यह
पाउडर के रूप में काम आए
विवाह शादी में करते रचना
देख-देखकर जन को लुभाए।
** होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत**
चाइनीज रोज
(रोजा चाइनीज)
सदाबहार झाड़ी होती
बन जाता है कभी पेड़
लाल रंग के फूल खिले
बच्चे इनसे ही करे छेड़,
गुडहल इससे मिलता है
जूता फूल कहलाता वो
मलेशिया का राष्ट्रीय फूल
दवाओं में काम आए जो,
सजावटी है चाइनीज रोज
पुंकेसर होते लाल रंग के
बाग बगीचों में खिलता है
देवी देवताओं की पूजा हो
यह खड़ा हवा में हिलता है,
सलाद के रूप में खाते इसे
जूता फूल चमकाता है जूता
चीन में मिलता जो गुलाब है
उगता रहता जैसे कुकरमुता,
तंत्र में कुछ जगह प्रयोग हो
सूर्य की किरणों से बचाता है
नारी में हो दर्दीली माहवारी
उस वक्त ले तो उसे हंसाता है,
थायराइड के सूजन को घटाए
कई दवाओं में यह काम आए
घर आंगन में खिलता रहता है
हर जन इसको गले से लगाए,
मधुमक्खी को अति लुभाता है
दूर से देखे यह नजर आता है
शोभा बढ़ाता और काम आए
बाग बगीचे में यह इठलाता है।
** होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत**
गोखरू
(पेडालियम मुरेक्स)
कई देशों में पाया जाए
गहरे रंग का एक शाक
दवाओं में बहु उपयोगी
आयुर्वेद में जमाता धाक,
पत्ते पकाकर सब्जी बने
अच्छी सब्जी का है स्रोत
गुर्दे की पत्थरी दूर करता
कमजोरी में जलाता जोत,
वियाग्रा का काम करता है
पेट की अल्सर करता दूर
भूख को बढ़ाता है झटपट
खांसी को कर देता है चूर,
मूत्र के रोगों को हटा देता
त्वचा के विकार करता दूर
दमा, डायरिया, ल्युकोरिया
हृदय रोग कर दे चकनाचूर,
शरीर दर्द में होता उपयोगी
खून को करता है यह साफ
माहवारी को बढ़ाता है यह
कोढ़ शरीर का कर दे साफ,
शरीर दर्द में बड़ा उपयोगी
पत्ते भी बहु उपयोगी होते
शरीर की गर्मी को दूर करे
गर्मी से जब जन खूब रोते,
बवासीर को दूर भगाता है
पत्तों में है पोटाशियम,जस्त
फल में बेरियम पाया जाता
खाए जन तो हो जाए मस्त,
जंगलों में खड़ा मिलता यह
भाखड़ी से गुण मिलते खूब
पत्ते पानी में लार छोड़ते हैं
बनाकर पी लो इसका सूप।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत**
गन्ना
(सक्रम बारबेरी)
घास कुल का एक पौधा
जग प्रसिद्ध है मिठास में
इसका मिठास भरा हुआ
हर जन के सांस सांस में,
बहुवर्षीय कहलाता पौधा
19 फुट तक बढ़ जाता है
भारतीय मूल का पौधा है
उष्णता सहन कर जाता है,
जग में सबसे अधिक बोते
90 देशों में पाया जाता है
कई पदार्थ इससे बनते हैं
सजन जन मन लुभाता है,
एथनाल इससे ही बनता
चीनी मिलें आश्रित रहती
14 प्रतिशत चीनी मिलती
सारी दुनिया यही कहती,
नाइट्रोजन करे अवशोषित
धरती में पूर्ति करता खाद
छठवीं शताब्दी से उगा रहे
मधुर बहुत है इसका स्वाद,
पशुओं को मिलता है चारा
पत्तों से मैट तक बनाए जन
कई पदार्थ इससे ही बनते
ब्राजील उत्पादक नंबर वन,
गन्ने की पोरी प्रसिद्ध होती
काट डालता है पत्ता इसका
पूरे विश्व में प्रसिद्ध है यह
नहीं विकल्प मिलता इसका।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत**
लैंटेना
(लैंटाना कैमारा)
अमेरिका और अफ्रीका से
एक पौधा चलकर आया है
शाक एवं झाड़ी दोनों रूप हैं
विषैला कहा जिसने खाया है,
लाल, गुलाबी, पीला, सफेद
कई रंगों के फूल खिलते यहां
जहां धूप, गर्मी पड़ती रहती है
लैंटाना मिल सकता यहां वहां,
भारत में खरपतवार बन गई है
मिलता है खेत, नहर, उजाड़
जहरीला पौधा कहलाता यह
मिल जाता है खेत की बाड़,
इसके लगता फूलों का गुच्छा
बेरी के रूप में लगता है फल
कैसे रोके इसकी बढ़ती संख्या
नहीं मिल रहा कहीं कोई हल,
पक्षी, कीट, बच्चे हो या पक्षी
सभी के लिए जहरीला कहाए
नमक रोधी कहलाता है पौधा
सूखा रोधी लैंटाना यह कहाए,
कुछ जगह तो यह उगाया जाए
मधुमक्खी इससे भी शहद बनाए
समस्या बनकर उभर रहा है यह
कैसे इस पौधे को जड़ से हटाए,
लैंटाना की वृद्धि देखकर देखकर
कई देशों का सिर भी चकराया
30 प्रकार के कीट खोज लिए
जिन्होंने मिलकर लैंटाना हटाया।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
बील
(इगेल मार्मेलोस)
भारत देश की उत्पत्ति
पवित्र पौधा कहलाए
तीन पत्ते साथ लगते हैं
ज्यों त्रिदेव ये कहलाए,
बिलवा नाम से प्रसिद्ध
11 माह में पकता फल
पीला पल्प मिले इसमें
कई रोगों का यह हल,
पकने पर खाया जाता
जूस बनाकर पीते खूब
हरे पत्ते सलाद का रूप
भूख वृद्धि करे ये खूब,
साइनोसाइटिस व टीबी
पेट की बीमारी, मोटापा
कई रोगों में रामबाण है
सभी पीते राम व धापा,
मूत्र रोग दूर करता यह
खून के रोग करता है दूर
कान दर्द में जड़ काम की
स्कर्वी रोग को करता चूर,
सांस रोग हो या गुर्दे के
शूगर, मलेरिया करता दूर
लिवर की बीमारी कभी
मलेरिया को कर देता चूर,
शरीर में ऊर्जा का साधन
बदहजमी को कर दे चूर
मोटापा और टीबी भगाए
कई रोगों को कर दे दूर,
गैस बनती हो अगर कभी
नहीं चाहिए करे इसे प्रयोग
बचकर रहना चाहिए जब
शरीर में एलर्जी का हो रोग।
*होशियार सिंह, लेखक, कनीना, हरियाणा, भारत*
मिर्च
(केप्सिकम एनुवम)
सोलानेसी कुल का शाक
वर्षों से उगाया जा रहा है
इंसान का बेहतर स्पाइस
कच्चा व पकाकर खाता है,
हरा, पीला, लाल हैं रूप
छोटी, बड़ी, गोल हैं रूप
सब्जी व खाद्य पदार्थ बने
पैदा होती जब खिले धूप,
एकवर्षीय इसका पौधा है
चटनी, सूप, जैम बनते हैं
पनीर, मीट, चावल आदि
मिर्च से ही तो खिलते हैं,
पेट, आंत दर्द दूर करती
डायरिया में आती है काम
विटामिन सी का है स्रोत
किसान को देती यह दाम,
हृदय घात से बचाती मिर्च
कोलस्ट्राल को घटा देती है
दांत दर्द को दूर कर देती है
मलेरिया रोग को हर लेती है,
एल्कोहल के प्रभाव कम करे
बुखार में आ जाती है काम
नाड़ी का दर्द दूर कर देती है
शूगर रोग में लो इससे काम,
आंख रोग में काम आती है
पीठ दर्द, एड्स में काम आए
कितने ही उपयोग इसके हैं
शारीरिक रोगों को दूर भगाए,
कैप्साइसिन इसमें मिले पदार्थ
झाड़ीनुमा होता पौधा इसका
लंबे पत्तों वाला पौधा होता
गर्मी को घटाता फल इसका,
कुछ रोगों को बढ़ाता है मिर्च
पत्थरी में कभी नहीं खाइए
सी सी सी सी करते रहिए
जब मिर्च से स्नेह लगाइए।।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना*
खरींटी
(सिडा कोर्डिफोलिया)
कपास कुल का एक पौधा
'बाला नाम से जाना जाता
पूरे वर्षभर खड़ा मिलता है
कई रोगों में यह काम आता,
वात, पित, कफ दूर करता
पीले फूलों से यह लद जाता
पत्ते खूनी बवासीर दूर करे
शरीर में यह जान भर जाता,
तंत्रिका तंत्र,परिसंचरण तंत्र
मूत्र तंत्र को करता है दुरुस्त
गठिया, गनोरिया में काम का
तेल इसका रखता है मदमस्त,
पत्ते बुखार में काम आते हैं
शारीरिक कमी को करता दूर
जोड़ दर्द में भी तेल लगाते हैं,
कई प्रकार के तेल बनाते हैं
जड़ बुखार रोग को दूर करे
भार कम करने में रामबाण
जलन शरीर की हो तेल हरे,
ग्रामीण क्षेत्रों में यह मशहूर
लड्डू इसके प्रसिद्ध जहां में
हृदय जैसे पत्ते लगते इस पर
स्फूर्ति भर देती मन प्राण में,
जंगल में मिलती झाड़ीनुमा
देशी झाडू़ भी बनाए जाते
सर्दी में भी खड़ी मिलती है
गर्मी में इस पर फूल आते,
शारीरिक कमजोरी हो ठीक
आयुर्वेद में भी जाना जाए
पंसारी की दुकान पर मिले
प्रयोग करे जन को हंसाए।।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना*
तिल
(सेसमम इंडिकम)
वार्षिक शाक भारत की
देती तेल सबसे अधिक
विटामिनों का स्रोत होता
त्योहारों पर जाता बिक,
20 स्पीशिज जग में मिले
गर्मी को भी सहन करता
अफ्रीका भी उत्पादक है
कई रोगों को यह हरता,
सोडियम, पोटाशियम व
कैल्शियम और आयरन
कुछ लोग करते व्यापार
कमा सकते हैं भारी धन,
कुछ लोगों में एलर्जी हो
सबसे अधिक तेल मिले
खूब तेल उत्पादक बर्र्मा
गर्मी में खड़े शाक हिले,
जरूरी एमिनो अम्ल और
जरूरी वसा अमल मिले
भूरा, सफेद, काला आदि
कई रंगों में ये तिल मिले,
कोलस्ट्राल को घटाता है
कैंसर रोग से बचाता यह
लिवर के लिए लाभकारी
बहुत काम का तिल यह,
त्योहारों पर काम आता
टोटके में भी काम आए
कई रंगों के फूल खिलते
इसका रूप तिल्ली कहाए।
*होशियार सिंह, लेखक, कनीना*
बकायन
(मेलिया एजेडाराक)
नीम से मिलता जुलता
बकायन पौधा कहलाए
बहुवर्षीय पौधा होता है
कई रोगों में काम आए,
छायादार पौधा होता है
कई देशों में पाया जाए
मनकों का पौधा कहाए
जंगलों में यह खड़ा पाए,
हरे भरे पत्ते इसके होते
सुगंधित फूल यहां आते
हरे भरे फल लगते फिर
अंगूर की भांति ये लुभाते,
जहरीले फल होते इसके
पत्ते भी जहरीले कहलाए
कीटों को दूर भगा देते हैं
कई दवाओं में काम आए,
लकड़ी सागवान से मिलती
फर्नीचर में यह काम आए
फल अगर खा लेता जन तो
उल्टी, दस्त तक लग जाए,
सजावटी और छायादार है
पत्तों में टेनिन पाया जाए
त्वचा रोग,आंख के रोग हो
बकायन के पत्ते अजमाए,
पत्ते कीटों को रोकते हैं
अनाज को इनसे बचाए
मेवे सूखाने हो अगर तो
बकायन के पत्ते ले आए,
फल से तेल निकाला जाए
कई रोगों में काम आए
पेशाब रोग हो अगर तो
बकायन को ही अजमाए,
फल अति सुंदर होते हैं
कई रंगों में येे पाए जाए
पेट के कीड़े, कोढ़ रोग में
फल बकायन काम आए,
हृदय के रोग हो जाए तो
बकायन के पत्ते उपयोगी
हिस्टिरिया रोग हो जाए
बना सकते हैं ये निरोगी।।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
निंबू
(सिटस लिमोन)
घर, खेत, जंगल में मिलता
हरा, पीला सिट्रस का फल
नींबू यही कहलाता जग में
कई समस्याओं का यह हल,
एशिया की उत्पत्ति कहलाए
खट्टा स्वाद सभी को लुभाए
स्कर्वी रोग को दूर भगाता है
कोकटेल पार्टी में काम आए,
सोफ्ट ड्रिंक्स बनाए जाते हैं
सफाई के लिए प्रसिद्ध होता
डिजिटल घडिय़ों को दे शक्ति
कई दवाओं में यह भरा होता,
अदृश्य स्याही बनाई है जाती
एंटीबायोटिक्स, एंटी वायरल
कितने ही रूपों में काम आए
गुर्दा, लिवर, पैंक्रियाज बचाए
स्वस्थ हृदय और दिल बचाए
मुख, दांत एवं त्वचा को बचाए
इंसान को स्वस्थ बनाता रहता
नाखून, दांत,बाल, त्वचा बचाए
जोड़ों के दर्द दूर करता है नींबू
उल्टी और जब भी जी मचलाए
अचार बनाए, सब्जी जब बनाए
नींबू डालकर खाकर मन लुभाए,
घरेलू पद्धति में बड़ा ही उपयोगी
पित, वात को पास न आने पाए
बहु उपयोगी नींबू का पौधा होता
नींबू में बीजों बहुत से पाए जाए
बहु उपयोगी नींबू का पौधा होता
घर में ले आए, घर में ही ले आए
कितने ही रोगों में गुणकारी है
किसी भी रूप में खाइये आइये
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
अनार
(पुनिका ग्रनेटम)
एक अनार सौ बीमार
दर्शाए गुण बेहतर फल
इरान से उत्पत्ति मानी है
कई रोगों का होता हल,
पूरे विश्व में उगाया जाए
गोले बारूद से मिलता है
1400 तक बीज बनते हैं
सुंदर लाल फूल खिलता है,
खट्टा मीठा जूस मिलता
सूखे बीज भी काम आते
छिलका पेचिस में काम का
विटामिन सी व के मिलते,
जूस आंंखों में डाला जाए
छिलका खून को रोकता है
दिल की बीमारी में जूस लो
गुर्दे के रोगों को रोकता यह,
पुनिसिनिक अमल मिलता है
अत: पुनिका कहलाता यह
उच्च रक्तचाप में है उपयोगी
त्वचा कैंसर से बचाता यह,
गम खून को बहने से बचाए
रोते हुए को भी
यही हंसाए
सर्दी में अति गुणकारी होता
अल्प रक्तता को झटपट हटाए,
बाल अगर झड़ते रहते हो तो
अनार के रस को ही अपनाए
पाचकता को बढ़ा देता है यह
त्वचा के कैंसर से यही बचाए,
बुढ़ापे को आने से रोकता अनार
पुरुष तत्व को यही बढ़ाता है
बाल झडऩे से इंसान को बचाए
रक्त कमी से जन को बचाता है,
हरा भरा होता है छोटा पौधा
शूगर मरीज को यह बचाता है
दिल की बीमारियां दूर करता
प्रोस्टेट कैंसर में जन हंसाता है,
बुढ़ापा रोक देता है यह अनार
हृदय रोगों को मिटाता है यह
कार्बोहाइड्रेट प्रदान करता है
अनारमन को लुभाता रहता है।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
सदाबहार
(कैथरेंथस रोजियस)
आठ स्पीशिज जिसकी मिलती
विंका रोजा जिसका होता नाम
सदापुष्पी, प्योर फ्लोवर कहाए
घर आंगन, बाग उनके ही धाम,
सफेद, गुलाबी, लाल, पीला रंग
फूलों का रंग सदा लुभाता जाए
सेकड़ों एल्कलाइड जिसमें मिले
कई रोगों में यह फूल काम आए,
सदाबहार इसके पत्ते होते हैं सदा
जैसे रोगों को सदाबहार दूर भगाए
मलेरिया, ल्युकिमिया, होडकिंस
कितने ही रोगों को जड़ से हटाए,
चाय खासी शूगर में उपयोगी पत्ते हैं
पत्ते का जूस वास्प का जहर हटाए
उच्च रक्तचाप को झटपट हटाता है
मांसपेशी के रोगों को यह दूर भगाए,
नाक से खून जब बहता रहता हो तो
सदाबहार को ही प्रयोग कर लेना तुम
मुख का अल्सर जब भी हो जाता है
दस्त लगी में सदाबहार देना सदा तुम,
दिमाग की परेशानी जब भी सताए तो
सदाबहार उसमें भी उपयोगी होती है
मलेरिया रोग भी जल्दी से हटा देता
सदाबहार के बगैर दुनिया भी रोती है,
सफेद, पीला फूल रोगों में काम आए
पौधा शाक के रूप में में काम आता
यहां वहां खड़ा मिल जाता सदाबहार
कीटों व रोडेंटस को यह आश्रय देता,
किसानों के घरों में खड़ा मिलता यह
सदा फूल खिलाकर सभी को हंसाए
बाजार में भी नहीं बिकता सदाबहार
किस्मत में हो यह राह में मिल जाए,
फलियां इस पौधे पर पकने पर लगती
पत्तों पर लंबी शिरा विन्यास पाई जाए
फूल नहीं मिलते हो वहां पर काम आए
यह पौधा सदा फूलो में हंसता ही पाए।
** होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
गुलमोहर
(डेलॉनिक्स रेजिया )
जंगलों में खड़ा मिलता है
बहुवर्षीय पौधा कहलाता
गुल, फ्लेम आफ फोरेस्ट
पत्तों से भी पहचाना जाता,
फलीदार यह पौधा होता है
नाइट्रोजन अवशोषित करता
भीषण गर्मी में आग सा लगे
आग सा देखकर जन डरता,
कई प्रकार के स्टेराइडस दे
पत्ते होते हैं करीब सदाबहार
गर्मियों में मधुर छाया देता है
लकड़ी का बनता मोती हार,
प्राकृतिक रंग इसी से बनता
लकड़ी टिकाऊ जलरोधी है
कृत्रिम आभूषण इससे बने
कई दवाएं इसी से शोधी हैं,
पैरासिटामोल को बांधता है
हेमिप्लेजिया के काम आए
गठिया के रोग में हो प्रयोग
बदहजमी को भी दूर भगाए,
बुखार रोकने की हो क्षमता
अंदर के बीज भी खाए जाते
जब बहुत गर्मी पड़ रही हो
गुलमोहर पर लाल फूल आते,
गर्मी में होती इसकी पहचान
पत्ते कम होते और फूल हजार
आकर्षण का केंद्र बन जाता है
जीव जंतु भी करते इससे प्यार,
भूरे तने का यह पेड़ कहलाता
बड़ी-बड़ी फलियां लगती यहां
जंगल में खड़ा मिले यहां वहां
कई दवाओं में प्रयोग करे जहां।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना**