सदाबहार
(कैथरेंथस रोजियस)
आठ स्पीशिज जिसकी मिलती
विंका रोजा जिसका होता नाम
सदापुष्पी, प्योर फ्लोवर कहाए
घर आंगन, बाग उनके ही धाम,
सफेद, गुलाबी, लाल, पीला रंग
फूलों का रंग सदा लुभाता जाए
सेकड़ों एल्कलाइड जिसमें मिले
कई रोगों में यह फूल काम आए,
सदाबहार इसके पत्ते होते हैं सदा
जैसे रोगों को सदाबहार दूर भगाए
मलेरिया, ल्युकिमिया, होडकिंस
कितने ही रोगों को जड़ से हटाए,
चाय खासी शूगर में उपयोगी पत्ते हैं
पत्ते का जूस वास्प का जहर हटाए
उच्च रक्तचाप को झटपट हटाता है
मांसपेशी के रोगों को यह दूर भगाए,
नाक से खून जब बहता रहता हो तो
सदाबहार को ही प्रयोग कर लेना तुम
मुख का अल्सर जब भी हो जाता है
दस्त लगी में सदाबहार देना सदा तुम,
दिमाग की परेशानी जब भी सताए तो
सदाबहार उसमें भी उपयोगी होती है
मलेरिया रोग भी जल्दी से हटा देता
सदाबहार के बगैर दुनिया भी रोती है,
सफेद, पीला फूल रोगों में काम आए
पौधा शाक के रूप में में काम आता
यहां वहां खड़ा मिल जाता सदाबहार
कीटों व रोडेंटस को यह आश्रय देता,
किसानों के घरों में खड़ा मिलता यह
सदा फूल खिलाकर सभी को हंसाए
बाजार में भी नहीं बिकता सदाबहार
किस्मत में हो यह राह में मिल जाए,
फलियां इस पौधे पर पकने पर लगती
पत्तों पर लंबी शिरा विन्यास पाई जाए
फूल नहीं मिलते हो वहां पर काम आए
यह पौधा सदा फूलो में हंसता ही पाए।
** होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
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