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Saturday, March 19, 2022

                                   मेथा
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जंगली मेथी
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ट्राइफोलियम इंडिकम
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 ट्रिगोनेला फोयनम ग्रियकम जिसे अकसर  मेथी कहते हैं वो वैसे तो हर जगह मिली है जो बहुत प्रसिद्ध औषधीय फलीदार पौधा है किंतु इसी से मिलता-जुलता जंगलों में अपने आप उगने वाला, खेत किसान के खेतों में स्ववयं उगने वाला मेथी जैसा ही मेथी का भाई मेथा मिलता है। वास्तव में में यह अति औषधीय गुण वाला पौधा है क्योंकि उस पर फलियां लगती है इसलिए यह फलीदार पौधों की श्रेणी में आता है जो ट्राइफोलियम इंडिकम नाम से जाना जाता है। गर्मियों में भारत के विभिन्न भागों में खुद पैदा होता है वास्तव में यह मटर कुल का पौधा होने से वायुमंडल के नाइट्रोजन को अवशोषित कर नाइट्रोजन के यौगिकों बदल देता है जो खाद का काम करता है इसलिए किसानों के लिए एक वरदान साबित होता है। 30 से 45 मिलीमीटर और अधिकतम 1 साल तक चलने वाला भारी संख्या में पीले रंग के फूल और फलियों से लदा हुआ यह पौधा वास्तव में शरीर की अनेकों समस्याओं एवं बीमारियों को दूर करने वाला होता है। यह वात रोग हिचकी,अतिसार आदि में बहुत कारगर  है वही बल एवं पुष्टिवधक है क्योंकि इसमें तीन पत्ते होते हैं इसलिए इसका नाम ट्राइबोलियम पड़ा हैं ।फूल पीले रंग के फलियां दबी हुई तथा आगे से तीखी होती है जिसमें पीले भूरे रंग के बीज पाए जाते हैं। जो गुण मेथी में होते हैं उससे अधिक गुण जंगली मेथी में पाए जाते हैं। ग्रामीण लोग इसे जंगली मेथी कहते हैं। वास्तव में इसका स्वाद मेथी की बजाय अधिक कसैला होता है जहां मेथी दाना खाने में बहुत अधिक प्रयोग होता है वहीं बीज पाउडर सर्दियों में खाना पकाने में, दवाई, साबुन, शैंपू आदि बनाने में काम में लाए जाते हैं। विशेषकर मधुमेह रोगी, उच्च कोलेस्ट्रॉल को घटाने में, मासिक धर्म में ऐंठन को दूर करने में काम में लेते हैं। यहां तक की बालों की समस्याएं गिरना झडऩा रोकता है। जंगली मेथी का पानी सेवन करने से बालों में सुधार आता है उसकी रुसी दूर हो जाती है। मेथी का पानी शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और पाचन समस्या को दूर करता है। शरीर में लोगों के कब्ज आदि होती है उसे भी दूर कर सकता है। रक्त शर्करा कम करने में मधुमेह रोगियों के काम आती है। इंसुलिन जो अग्नाशय में पैदा होती है, अग्नाशय एक पाचन अंग है, उसमें इंसुलिन बढ़ाने में मदद करता है जो शर्करा का पाचन करता है।  शरीर से जहां रक्त विकार दूर होते हैं हृदय की समस्या हल होती है। खराब कोलेस्ट्रॉल घट जाता है, ऐसे में जंगली मेथी बहुत रामबाण औषधि साबित होती है।
किसान इस मेथा को पशु की बीमारियों को दूर करने यहां तक कि चारे के रूप में भी प्रयोग करते हैं। जहां कुछ जगह इसे वनमेथी नाम से जाना जाता है।
मेथा को चंद्रशूर नाम से भी जाना जाता है।   यदि किसानों को पैदावार बढ़ानी है और पशु पशुचारा प्राप्त करना है तो मेथा खेतों में उगने दे तत्पश्चात खेतों से उखाड़ कर पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग करें। विशेषकर बकरी, गाय, भेड़ आदि जंगल में घूमते फिरते इसको बड़े चाव से खाती है। देखने में मेथी और मेथी में कुछ समानताएं मिलती है महज पत्तों का रंग एवं चौड़ाई आदि से ही मेथी और मेथा का अंतर का पता लगाया जा सकता है। जहां मेथी आकार में बड़ी होती है मेथा इतना बड़ा नहीं होता और धरती पर फैल जाता है।

डा होशियार सिंह यादव






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