सोंकस अरवेंसिस
******************************************
**************************************
*********************************************
दक्षिण हरियाणा में सोंकस अरवेंसिस शाक इस वक्त पककर तैयार है। इसे मिल्क थिसल, कफिल्ड शो थिसल, डिंडल, गटविड, स्ववाइन थिसल,कोर्न शो थिसल आदि अनेक नामों से जाना जाता है। यह एक फूलदार पौधा है जो सर्दियों के मौसम में खरपतवार के रूप में उगता है और गर्मी आने के बाद इसके बीज दूर-दराज तक बिखर जाते हैं। यह एक वार्षिक पौधा है जो फसलों के साथ उगकर पैदावार को घटाने में अहम भूमिका निभाता है। प्राय डेढ़ मीटर तक ऊंचा हो सकता है और शाक के रूप में देखने को मिलता है। इसकी उत्पत्ति यूरोप से हुई है और विभिन्न क्षेत्रों में फैलता जा रहा है। भारत में भी यह विभिन्न माध्यमों के जरिए पहुंच गया है। अक्सर यह पुराने घर, पुरानें बंजर खेत तथा फसल में उगा मिल सकता है। सबसे बड़ी पहचान है किसके ऊपर पीले रंग के फूल खिलते हैं इसके पत्तों को तोड़े तो दूध निकलता है। साथ में इस पौधे को बहुत कम जीवधारी खाते हैं। इसके फूल बाद में बीजों में बदल जाते और बीज दूर-दराज तक हवा से बिखर जाते हैं और हवा में उड़ते नजर आते हैं। जिस प्रकार आक एवं मैपल के पौधे के बीज होते हैं वैसे ही इसके बीज भी दूर-दराज तक उड़ते नजर आते हैं। इस पौधे के पत्ते कुछ लोग सलाद के रूप में खाते हैं। इसमें विषैले पदार्थ पदार्थ पाए जाते हैं।
यह एक खरपतवार है। विभिन्न देशों में फैला हुआ है। इस पौधे में खनिज लवण तथा विटामिन पाए जाते हैं। इसको किसान उखाड़ कर फेंकना चाहते हैं क्योंकि यह पौधा उनकी फसल पैदावार में दिक्कत देता है। परंतु इस पौधे या यूरोप देशों में सलाद के रूप में खाया जाता है। कीटनाशक दवाई बनाने के लिए चीन आदि देशों में प्रयोग होता है। रबड़ के रूप में इसमें रस पाया जाता है। इसमें लेटेस्ट पाया जाता है। इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती है। इस पौधे को देखकर किसान पहचान नहीं पाते। उन्हें पहचानने की जरूरत है तथा इसे उखाड़ फेंकने की ज्यादा जरूरत है क्योंकि यह फसली पौधों के साथ स्पर्धा करके पैदावार को घटा देता और किसानों के लिए नुकसानदायक साबित होता है।
No comments:
Post a Comment