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Saturday, March 12, 2022

                      राई
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       ब्रासिका नाइग्रा
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 ग्रामीण क्षेत्रों में राई सरसों की बहन मानी जाती है। इसे ब्रासिका नाइग्रा या काली सरसों नाम से जाना जाता है। राई एक वर्षीय पौधा है जो अधिकतम एक साल में जीवन यापन कर लेता है। इस राई की खेती विभिन्न क्षेत्रों में की जाती है जो उसके बीजों के लिए जाती है। राई के बीच मसाले के रूप में हर जगह प्रयोग किए जाते हैं। यह पौधा अफ्रीका, यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों का मूल निवासी है।
 राई एक सीधा पौधा होता है जो सरसों से बहुत मिलता जुलता होता है। इसके बड़े डंठल और छोटे पत्ते होते हैं जबकि सरसों के मुकाबले इसके पत्ते आकार में छोटे होते हैं जब पौधा छोटा होता है। राई जब छोटा पौधा होता है तो तनों पर अनेक और बाल जैसी रचनाएं पाई जाती है। गर्मियों में आकर फूल खिलता है प्रत्येक डंठल पर फूल लगते हैं। इस पर छोटी-छोटी फलियां लगती है और फलियों में काले रंग तथा कुछ हल्के लाल रंग के बीज बनते हैं।
 हजारों वर्ष पहले इस पौधे के उपयोग का प्रमाण मिलता है। इसके बीजों को पीसकर प्रयोग मसाले के रूप में करते आ रहे है। इसे कुछ लोग आज भी सरसों नाम से ही पुकारते हैं जबकि सरसों इससे बहुत भिन्न होती है। राई को अचार, पोहा आदि के निर्माण में पूर्ण बीज के रूप में करते हैं।
राई बहुत बारीक बारीक बीजों से बनती है। इनका स्वाद थोड़ा मीठा होता है, जब इनको पीसा जाता है तो विशेष सुगंध ही पैदा होती है। यदि इनको गर्म तेल में डाला जाता है तो बीज तेजी से फूटते चले जाते हैं जिनमें तेल की मात्रा पाई जाती है जिनमें मुख्य रूप से ओलिक अमल पाया जाता है जिसे तेल के रूप में भी काम में लाया जाता है। राई के पत्ते, कलियां, फूल बहुत से
लोग खाते हैं। अनेकों प्रकार की भाजी और सब्जियां बनाते हैं। यही कारण है इसकी खेती की जाती है। राई की पत्तियों को पका कर खाते हैं, बीज को मसाले के रूप में प्रयोग करते हैं, समय-समय पर अनेकों प्रकार की सरसों आने लग गई हैं।  जहां भूरी सरसों तथा सफेद सरसों पूजा-अर्चना में काम ली जाने लगी हैं वही आज भी राई को दवाओं के रूप में प्रयोग करते हैं। कफ को दूर करने के लिए राई का प्रयोग किया जाता है यहां तक कि सांस का संक्रमण हो तो उस समय भी इसे प्रयोग में लाया जाता है। राई के बीजों को पीसकर मांसपेशियों का दर्द दूर किया जाता है। राई, सरसों, काली सरसों गोभी, शलगम आदि एक ही कुल के पौधे हें जिनमें बहुत अधिक समानताएं हैं।
 अकसर लोग राई और सरसों को एक ही मानते हैं किंतु राई और सरसों में बहुत ज्यादा अंतर है। राई को आंखों की बीमारी, फुंसी और खुजली  के इलाज में, बहते हुए कान, दांतो के दर्द में प्रयोग करते हैं। वहीं मसूड़ों के रोग, सांसों की बीमारी, हृदय रोग, पेट की अपची आदि में प्रयोग किया जाता है। जहां लीवर और तिल्ली विकार उत्पन्न हो तो उसे दूर किया जाता है। गर्भाशय के दर्द, कुष्ठ रोग आदि सूजन की समस्या, बुखार आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है वहीं गले की सूजन में भी राई काम में लाई जाती है। वैसे तो अनेक जगह राई का उपयोग किया जाता है किंतु पेट के कीड़े दूर करने के काम में लाई जाती जाती है। राई को अनेकों बीमारियों को दूर करने के लिए काम में लेते हैं। वास्तव में इसके छोटे दाने और लाल रंग के दाने होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में










राई को विभिन्न सब्जियों में डाला जाता है तथा कुछ सब्जियों में मसाले के रूप में छोंक आदि लगाने के काम में लेते हैं।

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