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Friday, March 11, 2022











                             खूबकला   
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खूबकलां को सिसंब्रियम ओफिसिनेल नाम से जाना जाता है जिसे ग्रामीण लोग खूबकलां कहते हैं। यह पौधा सरसों से मिलता जुलता है जो हर क्षेत्र में काफी मात्रा में उपलब्ध होता है। सर्दियों में भारी मात्रा में उगता है और इसेहेज मस्टर्ड नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में यह एक सरसों से मिलता जुलता पौधा है जिसके कारण ही इसे हेज मस्टर्ड नाम दिया गया है। सरसों कुल का ही यह पौधा होता है किंतु इसके फूल फली तथा बीज बहुत छोटे होते हैं। अधिकतम 80 सेंटीमीटर ऊंचाई तक उगता है। ग्रामीण क्षेत्रों में से खूबकलां नाम से जाना जाता है जो पशुओं का उत्तम चारा होने के कारण ग्रामीण लोग इसे पशुओं को खिलाते हैं। पशु भी बड़े चाव से खाते हैं। इस पर पीले पीले रंग के फूल आते हैं। जब पौधा बालरूप में अर्थात छोटा होता है तो इसके सारे शरीर पर बाल जैसी रचनाएं पाई जाती है। आयरलैंड, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड ,यूरोप और अफ्रीका में जंगली रूप में खड़ा मिलता है। वास्तव में यह खरपतवार है।
  यह यूरोप जैसे देशों में इसकी खेती की जाती है तथा बीज बहुत छोटे तथा सरसों के बीज जैसे रंग के होते
है।  जिनसे तेल निकाला जाता है।। उसके पत्ते और तना हरे रंग का होता है। इसके पत्तों को सलाद के रूप में खाते हैं। बीज, तने एवं पत्तों से कई दवाई बनती है। गला पक जाता है अर्थात गला बैठ जाता है तो उस समय इसका रस पिलाया जाता है, फेफड़े ,छाती आदि के रोगों में भी यह कारगर औषधि के रूप में काम में लाया जाता है। चीनी या शहद इसका सिरप मिला कर दिया जाता है। खांसी, सांस लेने में तकलीफ, जहर को उपचार में काम में लाया जाता है वहीं कमजोर फेफड़े तथा गला बैठ जाए तो भी यह काम में लाया जाता है। इसका जूस बनाकर पिया जाता है जो पेट की बीमारियां होती तो भी यह कई जगह उपयोग में लाया जाता है।
अभी शोध जारी है। यद्यपि ग्रामीण क्षेत्रों में कभी से ही इसके अनेक लाभ उठाए जाते हैं।
खूब कला गेहूं की फसलों के साथ अपने आप उग जाता और पैदावार को घटा देती है। ऐसे में इसे उखाड़ कर लोग फेंक देते हैं। खूबकलां बुखार को खत्म करने के लिए काम में लाई जाती है।
खूबकलां पशुओं के लिए उत्तम चारा है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में उखाड़कर पशुओं के लिए प्रयोग में लाते हैं, पशुओं के लिए
औषधि का काम करती है। खूब कला में विटामिन-सी पाई जाती है। यह मूत्र मार्ग की बीमारी, स्वेलिंग, गालब्लेडर की समस्या आदि में काम में लाई जाती है। यह एंटीबायोटिक्स के रूप में भी काम में लाई जाती है। कुल मिलाकर यह पौधा ग्रामीण क्षेत्रों में काफी नाम कमा रहा है किंतु इस पर अभी भी शोध जारी है। बहरहाल पशुओं को खूब खिलाकर दूध बढ़ाने का काम किया जा रहा है।

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