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Friday, March 18, 2022

                                         होलीहाक
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एल्सिया रोजिया
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हालीहाक जिसे अल्सिया रोजिया कहते हैं।  बिनौले का पौधा और हालीहाक का पौधा एक ही कुल के पौधे होते हैं तथा दोनों के फूलों में समानताएं मिलती हैं। घरों में उगाया जाने वाला भिंडी का पौधा भी इसी कुल का पौधा होता है। इस पौधे की एशिया और यूरोप से उत्पत्ति हुई है। इसकी करीब 80 प्रजातियां पाई जाती है। यह एक वर्ष से कई वर्षों तक जीवित रह सकता है। इस पौधे की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें कोई शाखा नहीं होती, सीधा एक ही तना होता है। इसके तने पर बाल जैसी संरचनाएं पाई जाती है जबकि फूल अलग-अलग रंगों के मिलते हैं जिनमें गुलाबी, सफेद, पर्पल, पीला आदि प्रमुख होते हैं। गर्मी आने पर इस पौधे पर भारी मात्रा में गुलाब जैसे फूल लगते हैं। इसके फल में अलग-अलग भाग पाए जाते और 15 भाग तक मिलते हैं जो बीजों को संचित करते हैं।
 हॉलीहॉक सजावटी पौधा है जो बीज से आसानी से उत्पन्न किया जा सकता है। यह पौधा छोटे-छोटे पक्षियों, भंवरों, तितली, हमिंग बर्ड(छोटा काले रंग का पक्षी) आदि को आकर्षित करता है। इसका तना जलाने के काम आता है जबकि की जड़ दवाएं बनाने के काम आती है। इसके फूल से प्राकृतिक होली खेली जा सकती है।  वास्तव में होली पर रासायनिक रंगों को छोड़कर इसके फूलों से प्राकृतिक रंग तैयार कर होली खेल सकते हैं।  किंतु आजकल रासायनिक रंगों से लोग होली खेलकर आनंद लेते हैं जबकि फूलों के रंगों से होली खेली जाए तो ज्यादा बेहतर हो। यह पौधा करीब 8 फीट तक बढ़ता है।
 पौधे पर अनेकों फूल एक साथ लगते हैं। अपने रंग के कारण दूर से दिखाई देते हैं। अक्सर इस पौधे का उपयोग गरारे करने के काम आता है जब मसूढों में कोई दर्द होता है। कई बार बच्चे बिस्तर पर पेशाब करते हैं उस समय भी यह पौधा काम आता है। शरीर में जलन आदि को रोकने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है, घरों में पूजा अर्चना, सजावट के लिए भी इसको प्रयोग में लाया जाता है। बाग बगीचे या गमले में यह पौधा अलग छवि में नजर आता है। इस पौधे को देखकर गुलाब की याद आ जाती है।
 हालीहाक आयुर्वेदिक चाय बनाने के काम में लाया जाता है जो सांस की बीमारी तथा पाचन तंत्र में खराबी को दूर करने के लिए काम में लाया जाता है। अक्षर की फोटो देख कर मन प्रसन्न हो जाता है जो गुलाब से मिलता-जुलता होता है इसलिए इसे रोजिया नाम से भी जाना जाता है। फोड़े फुंसी आदि के समय भी हालीहाक प्रयोग किया जाता है। किंतु इस पौधे का उपयोग गर्भवती तथा दूध पिलाने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए। अभी तक इस पर शोध चल रहे हैं ऐसे में कुछ और शोध आने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
 इस पौधे की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह सीधा बढ़ता है और अनेकों फूल लगे दिखाई देते हैं। भिंडी, बिनौला आदि जिस कुल से संबंध रखते हैं उसी










कुल से पौधा संबंध रखता है इसी से मिलता-जुलता चाइनीज रोज का पौधा होता है। याद रहे चाइनीज रोज को हिबिस्किस रोजा साइनेनसिस कहा जाता है जबकि हालीहाक को एल्शिया रोजिया वैज्ञानिक नाम से जाना जाता है।

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