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Tuesday, March 15, 2022

                        सेम
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            लबलब पर्पूरिया
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सेम की फली अर्थात सेम का वैज्ञानिक नाम   लबलब पर्पूरिया है। यह बेल के रूप में फैलने वाला एक पौधा है जिस पर अनेकों फलियां लगती है। यह पौधा तेजी से बढ़ता है और  इतनी भारी मात्रा में फैल जाती है कि दूर तक गहरे हरे रंग की बेल दिखाई देती है। फलियों की सब्जियां बनाई जाती है जबकि पत्ते विभिन्न जीव जंतुओं के लिए चारेे काम आते हैं।
 यह पौधा इस जगत में सभी क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसकी अनेक प्रजातियां और भिन्न-भिन्न आकार की फलियां लगती है। कहीं चपटी तो कहीं सफेद ,हरी, टेढ़ी या लंबी या विभिन्न रंगों की पीली आदि अनेक रंगों में मिलती है। इसके बीज भी अलग अलग रंगों के तथा गुर्दे के आकार के मिलते हैं।
 साग सब्जी के रूप में खाई जाती है और लोग इन्हें विभिन्न रूपों में प्रयोग करते हैं। यह स्वादिष्ट में पुष्टकारी होती है। यह आसानी से शरीर में नहीं पचता किंतु पर्याप्त मात्रा में रेशे मिलते हैं। स्वाद मधुर होता है, शरीर में ठंडक देती है, वात रोग, पेट की जलन, पित्त -कफ आदि रोगों को नष्ट करने वाली होती है। इसके बीज भी विभिन्न रूपों में खाए जाते हैं जिनको दाल तथा अन्य सब्जियों में मिलाकर प्रयोग किया जाता है जिनमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पाए जाते हैं। इसलिए अधिक पौष्टिक होती है।
 सम के पौधे की बेल होने के कारणलोग छतों पर, किसी पेड़ पर उगा देते हैं और लंबे समय तक इससे फलियां प्राप्त करते हैं। इसके बीज बहुत आसानी से उग जाते हैं। गर्मी में भी उतने ही हरे भरे रहते हैं जितने सर्दियों में। गर्मियों में अधिक आब आती है। इसकी कई किस्में होती हैं। इसे किडनी बीन भी कहते हैं जो वास्तव में से दक्षिण अमेरिका का पौधा माना जाता है। संसार के प्रत्येक भाग में पाया जाता है। यह लेग्यूमिनोसी कुल का पौधा होता है अर्थात मटर प्रजाति में मिलता है।
इसका वनस्पति नाम लबलब पर्पूरिया है। इसे डोलीचोज लैबलब नाम से भी जाना जाता है।
 सेम जहां पेट के अनेक बीमारियों के लिए लाभप्रद है उतना ही यह उच्च रक्तचाप वालों के लिए लाभप्रद माना जाता है। सुजाक, अपची, दाद खुजली आदि में यह बेहतर है। इसके पत्ते भी रोगों के इलाज में काम मिलाए जाते हैं। यही एक दलहनी फसल है जिसे किसी गमले में बगीचे में तथा कहीं भी जहां संभव हो उगाना चाहिए।
सेम को किसी लहसुन प्रजाति के पौधों के पास नहीं उगाना चाहिए वरना वृद्धि नहीं हो पाएगी। बीन,सेम, म्यूजिकल बीन, टोंगा बीन,  वाइल्ड बीन, किडनी बीन, भारतीय बीन, ऑस्ट्रेलियाई मटर आदि नामों से जाना जाता है। इसके फूल सफेद एवं बैंगनी रंग के होते हैं। जिस पर गुच्छे के रूप में फूल लगते तथा अनेक फलियां लगती हैं। सेम में जहां मैंगनेशियम, मैग्नीज के अलावा लोहा तांबा, फासफोरस, सोडियम, पोटैशियम,कैल्शियम आदि पाया जाता है वहीं विटामिन डी मिलती है। सेम की फली से फेफड़ों के रोग दूर होते हैं वही एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है, दिल की बीमारियों में फायदेमंद है वहीं अनिद्रा को दूर करती है, विटामिन डी इसमें प्रचुर मात्रा में पाई जाती है वहीं अमिनो अमल भी मिलते हैं परंतु यह फली कुछ लोगों में एलर्जी उत्पन्न कर सकती है कई बार


















इसके फलियों के खाने कारण उल्टी बदहजमी, मरोड़ आदि उत्पन्न हो सकते हैं।

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