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Sunday, April 3, 2022

                              सिंदूर पौधा
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 सिंदूर का पौधा
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बिक्सा ओरेलाला
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सिंदूर का नाम लेते ही सुहागिन महिलाएं याद आती हैं। सुहागिन महिलाएं अपनी मांग में सुहाग का प्रतीक सिंदूर भरती हैं। सिंदूर को सिंदूरी पौधा, आर्गेनिक सिंदूर कहते हैं। सिंदूर को कुमकुम/सिंदूर/वर्मिलियन/बिक्सा/अन्नाटो/कमीला आदि नामों से जाना जाता है। यह वह मुख्य पदार्थ है जो सुहागिन महिलाएं अपनी मांग में भरती हैं। वास्तव में सिंदूर पौधे से प्राप्त होता है जिसे आर्गेनिक सिंदूर कहा जाता है। सिंदूर को लिपस्टिक ट्री नाम से भी जाना जाता है।
सिंदूर दो प्रकार का होता है। बाजार का  रासायनिक सिंदूर जो पारा एवं शीशा आदि से भरपूर होता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए सौंदर्य प्रसाधन का प्रमुख पदार्थ सिंदूर होता है। अक्सर दिमाग में आता होगा कि सिंदूर कैसे बनता है? वैसे तो लोग रासायनिक विधि से भी इसे भी बनाते हैं किंतु असली सिंदूर एक पौधे से प्राप्त होता है इसे लिपस्टिक ट्री नाम से जाना जाता है। सिंदूर लाल या नारंगी रंग का होता है। भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। हिंदू, बौद्ध, जैन और कुछ अन्य समुदायों में विवाहित स्त्रियां अपनी मांग इससे भरती हैं। इसे बिंदिया के रूप में प्रयोग करते हैं। वास्तव में बाजार में उपलब्ध होने वाला सिंदूर और शीशे जैसे रासायनिक पदार्थ और विषैले पदार्थों से बना होता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है किंतु सिंदूर का पौधा अगर कहीं मिलता है तो आश्चर्य होता है कि एक अरंडी से मिलता जुलता पौधा होता है। जिसके फल भी अरंडी जैसे ही होते हैं, फलों में अरंडी जैसे ही बीज निकलते हैं। इसका फल लाल या दूसरे रंगों का हो सकता है। इसके बीज में लाल या नारंगी रंग का पदार्थ प्राप्त होता है जिसे सिंदूर कहा जाता है। वास्तव में यह वही सिंदूर है जो बहुत उपयोगी पदार्थ होता है। सिंदूर, पौधे के बीज से प्राप्त होता है इसके प्रयोग करने से सुख सौभाग्य की प्राप्ति माना जाता है। वास्तव में सिंदूर पूजा पाठ में प्रयोग किया जाता है। ऋषि मुनि इसे सौभाग्य वर्धक कहकर पुकारते हैं। यदि किसी पूजा पाठ में इसका प्रयोग नहीं किया जाए तो पूजा पाठ अधूरा ही माना जाता है। स्वास्थ्य के लिए हितकारी होता है। वास्तव में पौधे से जो सिंदूर तैयार किया गया यह सिंदूर लगाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वास्तव में यही ऑर्गेनिक सिंदूर कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि जब सीता बन में गई तब इन बीजों से ही अपने सुहाग सुरक्षा के लिए मांग में भरती रही। वास्तव में बजरंगबली हनुमान जी पर सिंदूर का ही लेप किया जाता है।
सिंदूर नसों में रक्त सप्लाई और मांसपेशियों को सक्रिय रखने का काम भी करता है। सिंदूर लगाने से शरीर में ऊर्जा की पूर्ति होती है। ऐसा माना जाता है माता सती और पार्वती की ऊर्जा का कारण भी सिंदूर ही था। भगवान राम के लिए हनुमान जी ने सिंदूर लगाया था वहीं देसी घी में सिंदूर डालकर दीपक जलाने से लाभ होता है।
सिंदूर का पौधा वास्तव में एक झाड़ीनुमा होता है जो बाद में बड़े पेड़ के रूप में बदल जाता है। इस पौधे की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसके गर्मियों में फल लगते हैं जो फल लगते हैं तो नारंगी या लाल रंग के होते हैं। जो कुछ दिनों बाद पक जाते हैं और पकने के बाद से बीज प्राप्त होते हैं और बीजों से सिंदूर प्राप्त होता है। इसमें संयुक्त पत्ता पाया जाता है जिसमें जालिका शिरा विन्यास मिलता है। इसको देकर पूरे तने पर रोम मिलते हैं तथा यह पौधा अरंडी से मिलता-जुलता होता है। वास्तव में सिंदूर का पौधा गमले आदि में भी लगाया जा सकता है। यह पौधा हरा भरा होता है तथा कुछ लाल भूरे रंग की कलियां आती है जो धीरे धीरे फूलों में बदल जाती हैं। फूल सेलाल रंग के फल आते हैं इसके फल बिल्कुल  अरंडी के बीज से मिलते हैं जिसमें 4 से 5 बीज प्राप्त होते हैं। इन बीजों को तोड़ कर देखा जाए तो उन में सिंदूर भरा होता है। यही असली सिंदूर होता है।
अधिकांश बाजार में मिलने वाले सिंदूर रासायनिक पदार्थ से बनाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होते हैं, एलर्जी आदि का रोग भी कर देते हैं। वैसे भी बाजार के सिंदूर में पारा और शीशा होने से शरीर के लिए घातक प्रभाव डालते हैं। ऐसे में खासतौर से सिंदूर






का पौधा उगाना चाहिए तथा उसे प्राप्त ही सिंदूर प्रयोग करना चाहिए।




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