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Wednesday, April 6, 2022

 साबूदाना तथा कुट्टू
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साबूदाना, सागो, शाक्सस, राबिया
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साइक्स रिवॉल्युटा
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अक्सर जब जब व्रत आते हैं तो लोग कुट्टू और साबूदाना जमकर प्रयोग करते हैं। साबूदाना एक पौधे के तने से प्राप्त किया जाता है जिसे साबूदाना, सागो, शाक्सस, राबिया, सागो पाम आदि नामों से जाना जाता है क्योंकि इसमें बहुत अधिक मात्रा में स्टार्च मिलता है जो उष्णकटिबंधीय पाम के पेड़ों से निकाला जाता है।
व्रत के समय इसे दलिया, खिचड़ी, रोल, फ्राई, खीर, चिप्स तथा अन्य रूपों  में प्रयोग किया जाता है। वास्तव में साबूदाना हम बाजार में मोती जैसे रूप में मिलता है।
साबूदाना निकालने की हर बार आम के सागो पाम के पेड़ को काट दिया जाता है और तने को काटकर कुचल दिया जाता है। साबूदाना को तने से निकालने के अनेक तरीके है। पेड़ के तने से गुदा निकाल कर पानी में मिलाकर हाथों से गूंधा जाता है तत्पश्चात फिल्टर से गुजारा जाता है। इस फिल्टर किये पानी पेड़ के तने में एकत्रित किया जाता है खुला छोड़ दिया जाता है तत्पश्चात बचता है साबूदाने का चिपचिपा रेशेदार रूप जिसे ठोस अवस्था में बदला जाता है। बाकी जितनी शुद्धता से साबूदाना बनना चाहिए उतना ध्यान नहीं दिया जाता है। इसलिए अनेकों प्रकार की चेंर्चाएं साबूदाना के विषय में प्रचलित है। क्योंकि यह पेड़ के तने से निकाला जाता है इसलिए व्रत में प्रयोग किया जाता है।
साबूदाना शरीर में पाचन शक्ति बढ़ाता है, हड्डी जोड़ों को मजबूत करता है। प्रोटीन की पूर्ति करता है, शरीर में फाइबर प्रदान करता है, रक्तचाप घटाता है तथा खून में रक्त की मात्रा निश्चित रखता है। भार को भी घटाने के लिए साबूदाना प्रयोग किया जाता है।
साबूदाना एक प्रकार के विशेष पाम द्वारा प्राप्त होता है इसे कई नामों से जाना जाता है इसका वैज्ञानिक नाम साइक्स रिवॉल्युटा है।यद्यपि इस पौधे के तने में जहरीला पदार्थ भी मिलता है किंतु बड़ी सावधानी से और बार-बार सफाई करके जहरीले पदार्थ निकाल दिए जाते हैं। जहरीले पदार्थ को साइकेसिन टोक्सिन नाम से जाना जाता है। इसे बार-बार धोकर ही दूर किया जा सकता है।
     कुट्टू
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बकव्हीट
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फेगोपाइरम एस्कुलेंटम

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नकली अनाज
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कुट्टू जो बहुत प्रसिद्ध आटा व्रत में प्रयोग किया जाता है जिसे विभिन्न रूपों में व्रत के समय प्रयोग किया जाता है किंतु पुराना होने के कारण जहरीला बन सकता है जिसे प्रयोग नहीं करना चाहिए।  वास्तव में कुट्टू एक प्रकार का पौधा है जो शाक रूप में पाया जाता है जिसे बकव्हीट कहते हैं इसका वैज्ञानिक नाम है फेगोपाइरम एस्कुलेंटम है, एक पौधा होता है इसके तिकोने बीज प्राप्त होते हैं।
वास्तव में कुट्टू एक कवर क्राप अर्थात जो भूमि को ढकने के काम आता है ताकि किसी प्रकार का मिट्टी कटाव या पोषक तत्व मिट्टी के न बह सके। इसलिए खेतों में उगाया जाता है किंतु यह फसल के रूप में नहीं उगाया जाता। कुछ लोग इसे गेहूं की तुलना देते हैं परंतु यह गेहूं से कोई संबंध नहीं रखता और ना ही गेहूं की तरह यह घास कुल का पौधा होता अर्थात यह घास कुल का पौधा नहीं होता। इसे नकली अनाज नाम से जाना जाता है जिसमें कार्बोहाइड्रेट मिलता है। यह सत्य है कि कुट्टू एक आटे की तरह प्रयोग किया जाता है।  परंतु यह अन्न नहीं माना जाता। यूनान और चीन आदि देशों में बहुत अधिक मात्रा में प्राचीन समय से मिलता था। यह थोड़े समय के लिए ही पैदा होता है जिसके गुच्छे के रूप में फूल आते हैं और इसकी मूसला जड़ पाई जाती है, इसके फूलों का रंग अक्सर सफेद, नीला, पीला आदि मिलता है।
रूस आज के दिन सबसे अधिक मात्रा में कुट्टू पैदा करता है।  वास्तव में कुट्टू में कार्बोहाइड्रेट वसा, प्रोटीन, कई विटामिन साथ में कैल्शियम, तांबा, लोहा, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फास्फोरस, पोटैशियम, सेलेनियम, सोडियम, जिंक आदि मिलता है तथा इसमें विटामिन बी-1, बी-2,बी-3,बी-5,बी-9 और विटामिन-सी पाई जाती है।  सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें ग्लूटन अर्थात चेप नहीं पाया जाता है अर्थात इसके आटे को यदि गूथना चाहे तो गूंधने में बहुत परेशानी आती है । इसके आटे में यद्यपि सामान्य रूप से प्रयोग किया जाए और ताजा रूप में प्रयोग किया जाए तो नुकसान नहीं करता वरना अधिक मात्रा में और इसमें पुराने आटे को प्रयोग करने से शरीर को नुकसान दे सकता है। लोग व्रत के समय इसे अनेक रूपों में प्रयोग करते हैं। लोग इसकी चाय, व्हिस्की, बियर ,पराठे, रोटी, पकोड़ा तथा विभिन्न रूपों में प्रयोग करते हैं। मगर व्रतों में सावधानी से कुट्टू प्रयोग करना चाहिए वरना जान को भी जोखिम हो सकता है। कुट्टू के आटे से हर वर्ष अनेकों लोग बीमार पडऩे और यहां तक की कुछ घटनाएं मौत







की भी सामने आती है। ऐसे में कुट्टू आटे को ताजा और सावधानीपूर्वक ही प्रयोग करें वरना कुट्टू से बचकर साबूदाना प्रयोग कर सकते हैं।
        लेखक-डा होशियार सिंह यादव
  फोटो साभार-विभिन्न स्रोत


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