अरबी
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अरब देश की सब्जी
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कोलोकेशिया एंटीकोरम तथा कोलोकेशिया एस्कुलेंटा
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गुइया/इड्डोज/कच्चू
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यह एक कंद है। अरबी,अरब देश की सब्जी है जिसे कोलोकेशिया एंटीकोरम नाम से जाना जाता है। अरबी का नाम लेते ही एक ऐसी सब्जी जेहन में प्रवेश कर जाती है जो गले में खराश पैदा कर देती है। भूमि के नीचे पाई जाती है। इसे कई नामों से जाना जाता है। अरबी पौधे का हरा तथा कोमल तना होता है तथा पत्ते चौड़े एवं हृदय के आकार का होता है। इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं जो अनुकूल मौसम में अपना भोजन इक_ा करके तने के रूप में फूल जाते हैं और भूमि के नीचे आलू की भांति अरबी में बदल जाता है। अरबी में कैल्शियम ओक्जलेट पाए जाने के कारण गले में खराश पैदा हो सकती है। पत्तों के नीचे लंबे लंबे डंठल पाए जाते तथा भूमि के नीचे तना मोटा फूल जाता है। एक अरबी के पौधे के नीचे कई अरबी मिल सकती हैं।
अरबी को उष्णकटिबंधीय सब्जी माना जाता है। इसका तना ही प्रमुख रूप से लोग सब्जी के लिए प्रयोग करते हैं । इसका तीखा स्वाद होता है इसलिए सावधानी से पकाया जाता है।
उत्तर प्रदेश बिहार राज्य में गुइया नाम से जानते हैं। अरबी अधिक लोकप्रिय सब्जी नहीं है किंतु इसमें फाइबर, प्रोटीन, पोटेशियम, विटामिन-ए विटामिन-बी, कैल्शियम तथा लोहा अधिक मात्रा में पाया जाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसके पत्तों की पकौड़ी बनाकर खाई जाती है। पत्तों की सब्जी भी बनाते हैं, कई जगह से व्रत में फलाहार के रूप में प्रयोग करते हैं। यह अनेक पदार्थों से भरपूर है। साथ में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं इसलिए यह बहुत लाभप्रद होती है। जिन लोगों में उच्च रक्तचाप होता है उनके रक्तचाप को कम करती है। साथ में तनाव को दूर कर देती है क्योंकि इसमें पोटेशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है। यह एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन-सी, विटामिन-ए होने के कारण कैंसर से भी बचाव करती है। मधुमेह रोगियों के लिए फाइबर प्रदान करती है जिससे ग्लूकोज की मात्रा का संतुलन बना रह सकता है।
इसके तनों को सब्जी के रूप में अधिक प्रयोग किया जाता है। क्योंकि इसमें कैल्शियम ऑक्सलेट होता है इसलिए कच्चा खा ले तो गले में खराश पैदा हो सकती है और नुकसान हो सकता है। यदि अरबी को रात भर ठंडे पानी में रखे तो इसमें कैल्शियम ऑक्सलेट खत्म हो जाते हैं। यह पौधा प्राचीन काल से उगाया जाता रहा है । यह पाचन तंत्र, मधुमेह, त्वचा के लिए, वजन घटाने के लिए मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए भी खाई जाती है परंतु अरबी जहां लाभप्रद है वहीं कुछ यह कुछ नुकसानदायक भी है। अरबी कुछ लोगों में लाभ नहीं करती। जो वात विकारों में पीडि़त व्यक्ति इसे नहीं प्रयोग न करें तो बेहतर होगा। अस्थमा से पीडि़त पत्तों की सब्जी न खाए तो अच्छा है। घुटनों में दर्द, खांसी अधिक आती है तथा प्रसव के बाद महिलाओं को नहीं खानी चाहिए क्योंकि यह पेट में गैस बना सकती है।
वास्तव में यह एक कंद है। अरबी को कढ़ी पकोड़े तथा सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है। देखने में तो आलू जैसी लगती है लेकिन आलू से अलग होती है। इसका पौधा 2 फीट तक लंबा हो सकता है। तना हरे रंग का होता है इसका पत्ता दिल के आकार का होता है, अरबी सब्जी अंदर से चिकनी होती है, चिपचिपी होती है, सफेद रंग की होती है। अरबी पाचन क्रिया में भी लाभप्रद होती है। इसके पत्तों में फोलेट, फाइबर, राइबोफ्लेविन लोहा आदि पाए जाते हैं। गठिया रोग आदि में काम मिलाई जाती है। अरबी के चिप्स भी बनाकर लोग प्रयोग करते हैं। अरबी के उबालकर पराठे बनाते हैं, कोफ्ता भी प्रयोग किया जाता है, अरबी के पकोड़े बहुत प्रसिद्ध होते हैं। अधिक मात्रा में खाने से नुकसान हो सकता है।
लेखक-डा होशियार सिंह यादव,कनीना
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