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Tuesday, April 7, 2020

कुट्टू
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कुट्टू  एक प्रसिद्ध अन्न विकल्प है जिस पर मेरी कविता के जरिये वर्णन किया गया है।
  कुट्टू जिसे व्रतों में खाया जाता है। यह एक प्रकार का अन्न का विकल्प है जिसे अनाज नहीं मानते। यही कारण है कि अन्न व्रतों में नहीं खाया जाता वहां कूट्टू से बने हुए पदार्थ बड़े चाव से खाए जाते हैं। यद्यपि इसे अनाज नहीं माना जाता दरअसल सभी अन्न घास कुल से संबंध रखते हैं किंतु कुट्टू का घास कुल से संबंध नहीं है। इसे बकव्हीट कहा जाता है जिसमें व्हीट का अर्थ गेहूं होता है किंतु कुट्टू का गेहूं से कोई संबंध नहीं है।
 इसका वैज्ञानिक नाम है फेगोपाइरम एस्कूलेंटम है। यह एक ऐसा बीज होता है जिसका आकार तिकोना होता है जिसको पीसकर आटा बनाया जाता है जिसे कुट्टू का आटा नाम दिया गया है। यह एक ऐसे पौधे से प्राप्त होता है जो रसरसों की भांति झाड़ीनुमा होता है जिसके गुच्छों में फूल व फल आते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है जबकि यह विभिन्न देशों में उगाया जाता है। इससे कुछ जगह जहां नूडल्स एवं सिरका बनता है वहीं केक, बिस्कुट, चीला के अतिरिक्त व्रत के समय पूड़ी, इडली, पराठे, रोटी आदि भी बनाई जाती है।
 कुट्टू बेहतरीन प्रोटीन से भरपूर होता है जिन व्यक्तियों में गेहूं खाने से किसी प्रकार की समस्या और एलर्जी होती है उनके लिए गेहूं की बजाय कुट्टू खाना ज्यादा लाभप्रद होता है। इसमें मैग्नीशियम, विटामिन-बी,
जिंक, कॉपर, मैंग्नीज कैल्शियम, फास्फोरस आदि पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। यह कालस्ट्रोल को कम करके रक्तचाप को कम करता है।
कुट्टू के आटे को नरम एवं आसानी से खाने योग्य बनाने के लिए काफी समय पहले से भिगोकर रखना लाभप्रद होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन पाए जाते हैं वहीं रुक्षांस पाए जाने के कारण यह पेट की बीमारियों में अति लाभप्रद है।
कुट्टू ना तो फल है और ना अन्न। कुट्टू का धार्मिक महत्व माना जाता है इसलिए व्रतों में, नवरात्रि में इस से बनी चीजें बड़े चाव से खाते हैं। पंजाब में ओखला नाम से जाना जाता है।
कुट्टू के आटे का स्वाद या अलग होता है। जंगली पौधे कुट्टू के बीजों से बनाया गया एक आटा होता है किंतु यह शरीर के लिए बहुत लाभप्रद है। इसे शूडोसिरेल अर्थात नकली अनाज नाम से जाना जाता है। यह वजन कम करने के लिए लाभप्रद होता है। विभिन्न प्रकार के कैंसर एवं ट्यूमर में भी लाभप्रद है वही मधुमेह में बेहतर माना जाता है। इसमें रूक्षांस पाए जाते हैं। पित्ताशय की पथरी आदि होने से बचाता है वही रक्तचाप को नियंत्रित करता है। यह हृदय स्वस्थ रखता है क्योंकि इसमें मैग्नीशियम, फास्फोरस मैंगनीज आदि पाए जाते हैं। इन पदार्थों की वजह से ही यह हड्डियों को मजबूत करता है। अस्थमा रोग में बहुत लाभप्रद है, मानसिक स्वास्थ्य के लिए, त्वचा के लिए यह बेहतरीन है वही बालों के लिए भी लाभप्रद माना जाता है।
कुट्टू में कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, शुगर, रूक्षांस, राइबोफ्लेविन, विटामिन ए, विटामिन बी, ,बी-6, सोडियम, पोटैशियम, कैलशियम, मैग्निशियम, जिंक आदि पाए जाते हैं।  यह शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है इसलिए व्रत के समय ऊर्जा की जरूरत होती है किंतु कुट्टू का आटा कुछ लोगों में एलर्जी का कारण बनता है। कई बार फूड प्वाइजनिंग होने से नुकसान हो सकता है। कई मौतें भी कुट्टू के आटे से हर वर्ष हो जाती हैं। पेट में ऐठन मरोड़े आदि की शिकायत भी मिलती है।इतना होते हुए भी कुट्टू का आटा बहुत लाभप्रद है।
- होशियार सिंह लेखक ,कनीना, महेंद्रगढ़ हरियाणा-






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