घड़ा
आए दिन बढ़ रहे रोग
पीते हैं फ्रिज का पानी
मिट्टी के घड़े बेहतर हैं
इनका नहीं कोई सानी,
बाइबल में मिले वर्णन
पानी के ये अच्छे पात्र
इनसे बेहतर तांबे के हैं
तांबे के ये होते हैं दात्र,
13 डिग्री ताप बना देते
सर्दी जुकाम से रखे दूर
शरीर इनको सहन करे
फ्रिज का तोड़ देते गरुर,
सुराही, बरुआ व घड़ा
मटके के कहलाते रूप
चाय, पानी रहे अच्छा
साफ रहता इनमें सूप,
आवे में पकाए जाते हैं
तीसरे दिन ही पकते हैं
अमीर भी प्रयोग में ले
गरीबी को ढक लेते हैं,
भूल गए अब घड़ों को
इसलिए रोग बुलाते हैं
घड़े जन को हंसाते हैं
फ्रिज तो जन रुलाते हैं,
गरीब जन का खाना है
कितने बिलवाते पापड़
दिन रात मेहनत करके
बनाते इनको सुंदर घड़,
कबीर ने वर्णन किया है
शिष्य के समान बताया
कुम्हार करते कलाकारी
पानी पिला जग हंसाया।
*****होशियार सिंह, लेखक, कनीना*****
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