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Tuesday, July 21, 2020

नूणखा/नूणिया





















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नोणिया
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पर्सलेन
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डकवीड/हागवीड/पर्सले
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पोर्टूलाका ओलेरासिया
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ग्रामीण क्षेत्रों में नोणखा नाम से जाना जाने वाला एक छोटा सा शाक कठोर जमीन पर बारिश के मौसम में देखने को मिलता है। यह एक रसीला पौधा होता है जिसकी ऊंचाई अधिक नहीं होती महज 20 से 40 सेंटीमीटर के बीच होती है। अब तो नोणिया की खेती की जाने लगी है। यह  विभिन्न देशों में पाया जाता है, वास्तव में यही खरपतवार माना जाता है जो किसान के लिए समस्या बन सकता है। परंतु भारत में कुछ खरपतवार बहुत उपयोगी है। भारत में कई खरपतवार जैसे बथुआ/चौलाई/श्रीआई और नौणखा खाद्य रूप में काम में लाये जाते हैं।
यह माना जाता है कि बहुत पहले से अमेरिका के लोगों द्वारा खाया जाता था इसके बीज फैलाए गए थे जो बहुत दूर-दूर तक फैल गए। इसके  चिकने लाल व पीले रंग के फूल आते हैं। इसकी पत्तियां और तने रसीले होते हैं जिनमें खट्टा स्वाद पाया जाता है।
 नोणखापर कुछ ही दिनों में फूल आ जाते हैं। फूल भी कुछ समय के लिए ही सुबह सवेरे खिलते हैं बाद में बंद हो जाते हैं। वास्तव में यह  जड़ी बूटियों में शामिल किया गया पौधा है। इसके फूल कुछ ही घंटों के लिए खिलने के बाद बंद हो जाते हैं। बीज बहुत छोटे कराले रंग के बनते हैं। वास्तव में इसका एक फल लगता है उस फल में अनेको बीज बनते हैं। इसका पत्ता सूखा सहन करने में सक्षम है इसलिए सूखी जमीनों पर, बंजर भूमि पर विशेष रूप से पाया जाता है। विभिन्न देशों में इसका उपयोग किया जाता है।
भारतीय लोग भी ऐसे कभी से परिचित हैं। इसे नोणखा नाम से जानते जिसे कच्चा भी सलाद के रूप में खाते हैं ज्यादातर लोग आज भी जब कहीं मिल जाता है तो इसे तोड़कर खाकर आनंद महसूस करते हैं। वास्तव में बहुत उपयोगी पौधा होता है। शरीर के लिए बहुत लाभप्रद माना जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन बी-2,बी-4,बी-6,बी-9, विटामिन सी विटामिन-ई, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस, पोटेशियम, जस्ता आदि भारी मात्रा में मिलते हैं। वास्तव में विटामिन-ई बहुत अधिक पाया जाता है जो संतानोत्पत्ति में अहम भूमिका निभाता है।
 वही ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष सब्जी के रूप में खाया जाता है। हृदय को बचाने वाले तत्व पाए जाते हैंं। स्वाद खट्टा होने के कारण इसकी पत्ती, फूल, कलियां सभी खाए जाते हैं। ताजा सलाद के रूप में प्रयोग होता है वही कई रूपों में  प्रयोग करते हैं।
  नूणखा में कई अमल पाए जाते हैं ।इसकी पत्तियों का उपयोग टमाटर, प्याज, लहसुन अजवाइन के फूल, जैतून के तेल के साथ प्रयोग करते हैं। सलाद के रूप में खाया जाता है वहीं दही में मिलाकर रायता बनाते हैं वहीं भाजी,सब्जी, खाटा का साग, कढ़ी में डालकर खाया जाता है।
पौधा लाभप्रद होता है क्योंकि यह नमी को लंबे समय तक सूखे रखता है। विटामिन ई का अच्छा स्रोत है। यह औषधि के रूप में काम में लाया जाता है। बुखार दूर करने, एंटीसेप्टिक के रूप में, कीटों को शरीर से नष्ट करने में काम में लेते हैं। यह जीवाणु रोधी, एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है।
यह घरों, बागों में सजावट के लिए काम लेते हैं तथा खेतों में अपने आप भी उगता है। दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में यह खरपतवार के रूप में पाए जाता हैं।
   भारत में मैदानों बेकार जमीन, सड़क के किनार,े खेती की गई जमीन, खाली स्थान पर पाया जाता है। युवा पत्ते बहुत स्वादिष्ट होते हैं भिंडी की सब्जी में डालकर भी लोग खाते हैं। यह पौधा  मसालेदार नमकीन स्वाद होने के कारण का कारण कच्चा खाना पसंद करते हैं। पत्तियों को सुखाकर भी लोग बाद में प्रयोग करते हैं। बीजों में फैटी एसिड, ओलिक एसिड, लिनोलेनिक एसिड पाये जाते हैं। इसकी राख को नमक के रूप में भी प्रयोग करते हैं क्योंकि यह बहुत नमकीन होता है।
 विश्व स्वास्थ्य संगठन की सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले औषधीय पौधों की सूची में इसका नाम शामिल किया है यह है मांसपेशियों को आराम देने वाला, घाव को भरने वाला पौधा होता है। ज्वरनाशी होता है। इसके पत्तों में ओमेगा-3 पाया जाता है जो दिल के दौरे को रोकने में महत्वपूर्ण होता है। पौधों में यह एक ऐसा पौधा है जिसमें ओमेगा-3 पाया जाता है। इसलिए जो दिल के मरीज होते हैं उन्हें नियमित रूप से खाना चाहिए। किसके बीज अखरोट जैसे होते हैं। इसका का ताजा रस गला, खांसी के उपचार में किया जाता है, पत्ती से बनी चाय का उपयोग पेट दर्द में किया जाता है। जब कोई जीव डंक मार जाता है तो इसका रस लगाना चाहिए, वही कानों में अगर दर्द है कीट डंक मार दिया है तो भी प्रयोग में लाया जाता है। गर्भवती महिलाओं के पाचन समस्या को दूर करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों का यह बहुत उपयोगी पौधा होता है। बुजुर्ग इसको ढूंढ कर लाते हैं और खा जाते हैं। 

***होशियार सिंह लेखक, कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा, भारत********
नूनिया या नूणखा
      (पोर्टुलाका ओलिरेसी)
कठोर जमीन कम पानी
            मिलता सहता एक शाक
पिग विड, मास रोज नाम
           जंगल में जमाता ये धाक,
40 प्रकार का उगाया जाए
             सब्जी रूप में खाया जाए
कड़वा, नमकीन स्वाद हो
             सलाद, सूप बनाया जाए,
पत्ता, टहनी, फूल मिलाकर
             ओमेगा-तीन करते हैं प्रदान
विटामिन ए, सी, ई आदि
             देता है यह बेहतर खाद्यान,
रात को पत्ते गैस को पकड़ता
             मेलिक एसिड में बदलता है
शाम के समय इसके पत्ते ही
             अधिक ग्लूकोज उगलते हैं,
लोहा, पोटाशियम, कैल्शियम
          खनिजों की मिलती है भरमार
कीट, सांप, भिर्ड, ततैया काटे
          पत्ते इसके पिसकर ही लगाए,
जलन और दर्द को दूर देता है
            पीलिया, पेचिस को दूर करता
आंतों के रक्त को रोकता तुरंत
            दवाएं बनाने में यह काम आए,
शाक सब्जी बनाए जायकेदार
        किसान खेतों में खड़ा मिलता
धरती पर खूब फैलता रहता है 



            नहीं हवा में यह कभी हिलता।
           *** होशियार सिंह, लेखक, कनीना**

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