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Friday, July 10, 2020

अमलतास
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केजिया फिस्टूला
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ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष कर बाग बगीचे, स्कूल, पार्क आदि में मध्यम ऊंचाई का पेड़, लंबी-लंबी सूखने पर काले रंग की फलियां, चौड़े पत्ते, फूलों का गुच्छा, छायादार पेड़ अमलतास का पेड़ देखा जा सकता है। गर्मियों में जहां इस पर भारी मात्रा में फूल खिलते हैं जो देखने से ही बनता है। इनका रंग अकसर पीला होता है।
अमलतास ही खूबसूरत पेड़ है। 

    अक्सर मध्यम आकार का होता है, इसकी पत्तियां चौड़ीहोती है तथा पीले रंग के भारी मात्रा में गुच्छों के रूप में फूल खिलते हैं। पुराने समय से ही जहां ऋषि मुनि पेड़ पौधों की जानकारी रखते थे। उनमें अमलतास भी एक है। यह यूं तो विभिन्न देशों में पाया जाता है लेकिन बाग बगीचे आदि में इसे आसानी से देखा जा सकता है।
    अमलतास का लगभग हर भाग औषधि के रूप में काम में लाया जाता है। वास्तव में इसे विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। किंतु इसका वैज्ञानिक नाम केजिया फिस्टुला है। भारत देश में इसके भारी मात्रा में पेड़ पाए जाते हैं। यद्यपि यह पेड़ है किंतु अधिक ऊंचे नहीं होते। अप्रैल से जून महीने तक इस पर भारी मात्रा में पीले रंग के गुच्छो के रूप में फूल आते हैं। यह पेड़ बारिश का सूचक होता है। 

      माना जाता है कि जब अमलतास पर फूल आ जाते हैं तो उसके 4 सप्ताह बाद बारिश होती है। इसलिए इसको इसके गुणों के कारण गोल्डन शावर ट्री तथा इंडियन रेन इंडिकेटर ट्री कहते हैं। इस पर जहां फूलों के बाद हरे रंग की लंबी-लंबी फलियां लगती है जो बाद में काले रंग की पड़ जाती है। यदि इसके फलों को तोड़कर देखा जाए तो उसमें एक चिपचिपा काले रंग का रस पाया जाता है। इसकी फलियां अंदर से कई भागों में बंटी होती है।
    वास्तव में पेड़ शाखाओं में देखे तो उनमें भी गोंद निकलता है। आयुर्वेद में यह पेड़ बहुत लाभकारी है क्योंकि सभी भाग औषधियों के रूप में काम में लाया जाता हैं। यह पेड़ कफ एवं वातनाशी के रूप में काम में लाया जाता है। फली में मिलने वाला गुदा भी कफ और पित्त नाशी होता है। 

    यह अमाशय को लाभ देता है ऐसे में शरीर से कमजोर व्यक्तियों तथा गर्भवती महिलाओं को भी दिया जा सकता है। यह अफारा, मुंह में पानी आना तथा अनेक रोगों में लाभप्रद है।
   अमलतास दाद एवं सूजन की समस्या को दूर करता है जिसमें पत्ती का रस और पेस्ट लगाया जाता है। यह शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। अमलतास की तने की छाल और फल का काम में लाये जाते हैं। कब्ज दूर करने में भी इसका उपयोग किया जाता है वही सर्दी जुखाम से छुटकारा दिलाता है। इसकी जड़ की धुआं से सर्दी, जुकाम दूर होता है, बुखार में काम में लाया जाता है। इसकी जड़ बुखार में टॉनिक का कार्य करती है। इसकी फली पेट की गैस को दूर करने के लिए काम में लाई जाती है।

      अमलतास की लुगदी नाभि के आस पास लपेटने से आराम मिलता है। यह घाव को जल्दी भर देती है वही इसका प्रयोग डायरिया, खसरा आदि रोग में में नहीं लेना चाहिए यदि ज्यादा मात्रा में लिया जाए तो दस्त भी लगने की संभावना रहती है।
   ऐसे में जहां यह हमारे आसपास मिलता है औषधीय पौधा है जिसके प्राचीन समय से अनेकों उपयोग माने जाते थे। पुराने समय से ही से गले के रोग, बिच्छू आदि के काटने पर, बच्चों के पेट दर्द का उपचार, मुंह के छाले, उल्टी, पेशाब न आना और त्वचा के चकत्ते पडऩे पर, खुजली का बवासीर, सूजन, यकृत, प्लीहा के सूजन में,  विसर्प रोग, शिशु की फुंसियां,  पेट दर्द ,लकवा,  दस्त लाने में, दमा के लिए, उल्टी कराने के लिए, गठिया, चेहरे पर लकवा की समस्या, चेहरे पर दाग, जलने आदि में लाभप्रद है। इसके फूलों का गुलकंद भी तैयार किया जाता है।








**होशियार सिंह यादव,कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा**

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