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Saturday, July 18, 2020

भूमि आमला
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भूमि अमला/भूंई आंवला
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फाइलेंथस नीरुरी
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गर्मियों में मिलने वाला एक शाक भूमि आंवला नाम से जाना जाता है। यही खरपतवार होता है जो अक्सर विभिन्न फसलों में उगकर फसलों के लिए नुकसानदायक साबित होता है।
यह एक छोटा सा गहरे हरे रंग का पौधा हो है जिसकी टहनीनुमा आकृतियां अक्सर कम मिलती हैं। चूंकि यह धरती के पास मिलता है और इस पर आमले जैसे फल लगते हैं। बथुआ/चौलाई से भी छोटा पौधा होता है इसके पत्ते गहरे हरे रंग के छोटे-छोटे होते हैं जो सिरस/आमला पौधे से मिलते जुलते होते हैं। इसके बहुत छोटे छोटे फल लगते हैं जो आमला से मिलते जुलते होते हैं। चूंकि यह भूमि के पास तथा आंवला जैसे फल लगने के कारण इसे भूमि आंवला/आमला कहते हैं।
 यह पौधा कुछ ही दिनों में हरा भरा हो जाता है और फिर देखते देखते खत्म हो जाता है किंतु यह औषधीय पौधा है। यह बवासीर अनिमिया आदि में बहुत लाभप्रद है।
वास्तव में भूमि आमला खरपतवार है जो देखने में आंवले जैसा लगता है क्योंकि यह जमीन के बहुत पास पाया जाता इसलिए इसको लोग भूमि आमला कहते हैं। सबसे अधिक उपयोग इसका गर्भवती महिलाओं में खून की कमी के समय किया जाता है।
एक वर्षीय पौधा बारिश के समय विशेषकर खरीफ की फसल के साथ उगता है। बंजर भूमि, पार्क, बगीचे आदि में मिलता है। वास्तव में इसकी उत्पत्ति अमेरिका में मानी जाती है। इसे वैज्ञानिक भाषा में फाइलेंथस नीरुरी नाम से जाना जाता है जिसे लोग भूमि आमला नाम से भी जानते हैं। इसका हर भाग जड़, तना, फूल, पत्ती, फल औषधि के रूप में काम लेते हैं। यह एक ऐसा खरपतवार है समस्या बना हुआ है किंतु औषधियों के दृष्टिगत यह बहुत उपयोगी पौधा है। लिवर से जुड़ी हुई बीमारियों/पीलिया में बहुत उपयोगी होता है।
क्योंकि इस पौधे के पत्तों में पोटैशियम अधिक मिलता है इसलिए यह आमला बुखार, मधुमेह, आंखों की बीमारी, खुजली, चर्म रोग, फोड़े फुंसी का इलाज, पेशाब संबंधी समस्याओं में घरेलू इलाज में काम में लाया जाता है। इसकी जड़ों से भी एक महत्वपूर्ण टॉनिक बनाया जाता है। यह हेपेटाइटिस-बी एक जानलेवा बीमारी है बहुत से लोग दिन की मौत के शिकार हो जाते हैं, उसमें यह कारगर औषधि है। इसलिए भी भूमि आंवला को जानने लग गए हैं। अभी तक इसकी कोई खेती नहीं की जाती है केवल जंगलों में अपने आप उगता है।
स्वाद में कड़वा होता है इसलिए लोग इसे सीधे कच्चेरूप में नहीं खा सकते। इसकी कई प्रजातियां पाई जाती है। यह प्रमुख रूप से घाव को सूखाने के लिए आंखों की बीमारी के लिए, पेट के रोगों को दूर करने के लिए, बुखार, मूत्र रोग, दस्त रोकने, मासिक धर्म विकार, स्तनों में सूजन, मधुमेह, कोढ़ तपेदिक, हृदय रोग आदि में लाभप्रद पाया जाता है। इसके इसके पौधे लोग घर पर भी प्रयोग करते हैं परंतु किसी चिकित्सक की सलाह के बगैर इनका उपयोग करना कभी कभार नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। पीलिया के इलाज में लोग इसे प्रयोग करते हैं। यदि इसकी जड़ को पेश कर दूध के साथ लेते हैं तो पीलिया में लाभप्रद होता है।
भूमि आंवला मुंह के छालों के अलावा गुर्दे तक की बीमारी में लाभप्रद होता है। यह शरीर के लिए हर प्रकार से लाभप्रद है। लीवर के लिए रामबाण होता है।
*होशियार सिंह यादव, लेखक,कनीना,महेंद्रगढ़,हरियाणा**    
    



भूमि आंवला
          (फाइलंथस निरुरी)
रबी फसल के साथ उगता

हरा भरा एक शाक बेदाम
               भूई आंवला, स्टोन ब्रेकर
              कितने ही हो इसके नाम,
फल पत्ते के नीचे लगते
सीड अंडर स्टोन कहाए
                   पत्ता,फल,फूल,बीज बने
                  कितने रोगों को दूर भगाए,
पत्तों में मिलता पोटाशियम
कीट जहर को कम कर दे
                  दस्त लगे तो जड़ भूनकर दे
                 पत्ते बुखार रोग को हर ले,
यकृत खराब होने से बचाए
खून कमी को कर देता दूर
                फफूंद, जीवाणु मार डालता
               शुगर, बीपी करें चकनाचूर,
लिवर, वृक्क, तिल्ली में पथरी
पत्ते का जूस कर देता है दूर
               मूत्र से कैल्शियम को घटाए
               पेट की बीमारी को करे फुर्र,
भूख बढ़ाता खून को बढ़ाता
यकृतशोथ रोग को ये भगाए
               पत्थरी शरीर में पनपने न दे
              इसके पत्तों से ही पेय बनाए,
कम होता जा रहा यह शाक

वक्त रहते हुए इसे बचा लो
                 किसानों ने नष्ट कर दिया इसे
                 हो सके इसके बाग लगा लो।
          


***होशियार सिंह, लेखक, कनीना***











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