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Wednesday, July 15, 2020

जामुन
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जामुन, राजमन, काला जामुन
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जमाली, ब्लैकबेरी
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जामुन एक ऐसा वृक्ष होता है जिसके फल बैंगनी रंग के पाए जाते हैं। पूरे विश्व में बैंगनी रंग प्रमुख रंगों में से एक माना जाना जाता है। भारत के अतिरिक्त कई देशों में पाया जाता है। वास्तव में जामुन को कई नामों से जाना जाता है कुछ लोग इसे ब्लैकबेरी तो कुछ इसे जमाली, जामुन, काला जामुन, राजमन आदि नामों से पुकारते हैं।
  वास्तव में यह फल देखने में बहुत सुंदर होता है। कच्चा होता है तो हरे रंग का होता है। इसका पकने के बाद जामुनी रंग हो जाता है जिसे बैंगनी रंग कहते हैं। यह फल अम्लीय और कसैला होता है जो बहुत पक जाता है तो मधुर स्वाद का हो जाते हैं। अक्सर इसे लोग स्वाद बढ़ाने के लिए नमक के साथ प्रयोग करते हैं। इसमें सबसे अधिक मात्रा में ग्लूकोज एवं फ्रक्टोज होता है। कुछ खनिजों की मात्रा अधिक होती है। जहां फल के बीज बहु उपयोगी होते हैं वही उसके फल के अतिरिक्त पत्ते,छाल,बीज, जड़, लकड़ी भी काम में लाई जाती है।
इसका वैज्ञानिक नाम सियाजियम क्यूमिनी है।
जामुन का पेड़ वास्तव में वृक्ष नाम से जाना जाता कठोर काष्ठकीय तने का होता है। जहां लोग जामुन के रूप में मिठाई भी बनाकर खाते हैं जिसका रंग भी जामुन के फल जैसा होता है। इंसान ने फल से ही मिठाई का रंग देना सोचा और सफल हुआ। जहां जामुन नामक मिठाई भी बहुत प्रसिद्ध है वहीं जामुन फल बेहद लाभप्रद होता है।
   सदाबहार पेड़ होता है लगातार लंबे अरसे तक फल देता है। इसके पत्ते कुछ चौड़े आम से मिलते हैं। छाल भूरे रंग का होता है। इसके फल अप्रैल माह से लगने शुरू हो जाते हैं और लगातार लंबे समय तक पेड़ पर पकते हैं। प्राय जामुन के पेड़ की आयु 50 से 60 साल मानी जाती है। जामुन के फल जून-जुलाई में पक जाते हैं तथा बहुत लोकप्रिय फल होते हैं।
   जामुन प्रकृति में एक ऐसा फल है जो बहुत से रोगों में कारगर माना जाता है। यहां तक कि कैंसर के रोग कम करने में भी उपयोगी होता है। मधुमेह के उपचार में अक्सर जामुन खाया जाता है वही इसकी गुठली, उच्च रक्तचाप को भी कम करती है या खून में शर्करा की मात्रा को घटाता है। जामुन का फल पेट की समस्याओं के लिए खासकर लाभप्रद है। इससे पेट साफ होता है तथा पेट की ऐंठन दूर होती है। जामुन के छाल का लोग काढ़ा बनाकर भी पीते हैं जिससे पेट की समस्या हल होती है।
   जामुन खून की कमी को दूर करता है। अक्सर लोग खून की कमी एनीमिया की शिकार मिलते हैं। ऐसे में जामुन जहां खाने से शरीर में कैल्शियम, पोटेशियम, लोहा प्राप्त होता है जो रोग रोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ लोहे की भी पूर्ति करता हैं। जिन व्यक्तियों ने मसूड़ों में खून आते हैं उनके लिए बहुत लाभप्रद माना जाता है क्योंकि जामुन की गुठली नमक में मिलाकर मसूड़ों पर लगाने से मसूड़ों की समस्या यहां तक कि दुर्गंध आदि दूर हो जाती है।
 यहां तक की जामुन के पत्ते भी चबाये जाये तो मुंह की दुर्गंध दूर हो सकती है। ऐसे में प्रतिदिन सुबह शाम पत्ते चबाने चाहिए। लीवर की समस्या को जामुन का रस दूर कर देता है, ऐसे में किन व्यक्तियों में लीवर की समस्या है उन्हें जामुन का रस जरूर पीना चाहिए। पथरी की समस्या में भी जामुन का पाउडर खिलाया जाता है। गठिया के इलाज में जामुन के पेड़ की छाल का काढ़ा पिलाया जाता है। चेहरे पर यदि फुंसियां है तो जामुन के बीजों को दूध में पीसकर लगाया जाता है। आवाज साफ करने में जामुन का अहम योगदान होता है। जामुन के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से आवाज सुरीली हो जाती हैं। बच्चों में दस्त की समस्या हो तो इसकी छाल पीसकर दूध के साथ बच्चों को पिलाई जाती है।
जामुन मधुमेह रोगियों के लिए तो रामबाण होता है। बेशक फल देखने में अटपटा खाने में चटपटा हो लेकिन गुणों की खान है। फल केवल बारिश के समय ही बाजार में पक कर तैयार होकर आते है। जहां नीम की निबोरी, आम और जामुन आदि फल बारिश में ही पकते हैं। जामुन के पेड़ की सबसे बड़ी विशेषता है किसकी लकड़ी जल को शुद्ध करने के काम में लाई जाती है। जहां इसका पेड़ आंधी बारिश में भी नहीं गिरता वही इसके पेड़ पर रोग भी कम लगते हैं। इसलिए अति गुणकारी पौधा बाग बगीचे में जरूर लगाना चाहिए।
जामुन के फल ही नहीं पत्ते आदि सभी उपयोगी है। जामुन की तासीर गर्म होती है। यह सांस, सूजन थकान का नाश करती है, खून की गंदगी को साफ करती है। वास्तव में इसे ब्लैकबेरी कहते हैं जो रक्त के लिए लाभप्रद है। जामुन का शरबत पीने से थकान दूर होती है। मुंह के छाले हो तो पत्तों को पानी में पीसकर प्रयोग किया जाता है। की छाल को जलाकर राख को शहद के साथ देने से उल्टी बंद हो जाती है, बिच्छू आदि काटे तो इसके पत्तों का रस लगाया जाता है। इसका सिरका सौंदर्य वर्धक होता है। इसकी छाल गुठली बहुत उपयोगी होती हैं, विभिन्न रोगों में काम में लाई जाती है। कान के दर्द में भी जामुन का तेल डालते हैं लाभ होता है जामुन खाने से जहां शरीर की पथरी दूर होता है। खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर होती है। जामुन का रस काला नमक डालकर पीने से पेट दर्द दूर होता है।
अधिक मात्रा में भी जामुन नहीं खानी चाहिए जामुन को खाली पेट भी खाना अच्छा नहीं माना जाता। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता का गुण पाया जाता है। ताजे फलों का उपयोग खाने के लिए किया जाता है छाल का उपयोग रंगाई और चमड़े को शोधन में भी किया जाता है। बड़े आकार के जामुन राजा जामुन नाम से जाने जाते हैं।
जामुन का पेड़ जहां न केवल छाया देता है अपितु रोगों से भी बचाता है। ऐसे में जामुन बहुत लाभप्रद वृक्ष है।
**होशियार सिंह, लेखक, कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा- 9416348 400


                      जामुन
               (साइजिजियम कुमिनी)
कई देशों में पाया जाता
सदाबहार पेड़ कहलाए
                         ब्लैकबेरी, राजमन जैसे
                         कई नामों से जाना जाए,
अमलीय, कैसेला स्वाद
नमक संग ये खाई जाए
                       ग्लूकोज व फ्रक्टोज मिले
                      कई रोगों में ये काम आए,
कार्बाेहाइड्रेट,प्रोटीन,लोहा
कैल्शियम अधिक मिलता
                       अप्रैल-मई में फूल खिलता
                        जून व जुलाई फल लगता,
बी-कैरोटीन, फाइबर आदि
रेशों से भरा होता यह फल
                      वीटामिन सी का बेहतर स्रोत
                     मधुमेह का यह अच्छा हल,
पाचन शक्ति मजबूत करता
उम्र बढ़ाता, कैंसर से बचाता
                      लिवर की बीमारी में रामबाण
                      जोड़ दर्द व हृदय घात घटाता,
खून की सफाई करता फल
पत्ती, फल, छाल काम आता
                       रक्तचाप को करता है नियंत्रित
                       कितने ही रोगों में यह हंसाता,
राम ने वनवास में इसे ही खाया
कीमो व रेडियोथैरेपी में उपयोगी
                        श्रीकृष्ण ने इसका किया बखान
                        खाते रहोगे इसे तो रहोगे निरोगी,
हरा, पीला, गुलाबी रंग का फल
गुठली भी इसकी काम में आती
                      किसान के खेतों में खड़ा मिलता
                      इसकी छांव ही जीवों को सुहाती,
बेहतर फल, बेहतर इसकी छांव
घर में उगा जन रोगों से बचाओ
                        फल बारिश में टूटकर जब गिरते
                         खाओ इसको और खूब हंसाओ।।
 


***होशियार सिंह, लेखक, कनीना***

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