गरीबों के बादाम
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किसान की आय का स्रोत
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--कितने ही लोग रोटी रोजी कमाते हैं मूंगफली से
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मूंगफली गरीब लोगों का बादाम नाम से विख्यात हो रही है। इस फसल की पैदावार जो देश के कुछ ही हिस्सों में प्रसिद्ध थी वो अब देश के प्रत्येक भाग में बखूबी से उगाई जाने लगी है। खासतौर से रेतीले क्षेत्रों में और वो भी मूंगफली उगा पाना कठिन होता था किंतु अब रेतीले क्षेत्रों में भी इसकी पैदावार अच्छी खासी ली जाने लगी है। मूंगफली उगाकर किसान को अपने खेत में लाभ ही लाभ मिलता है। आमदनी भी कम नहीं होती है।
यूं तो किसान किसी फसल पैदावार को लेने के लिए अनेकों प्रयोग करने के उपरांत ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचता है। यूं कहा जाए कि किसान खेत पर प्रयोग करने से नहीं चुकता तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। विशेषकर महेंद्रगढ़ जैसे रेतीले क्षेत्र का किसान तो बड़ी ही सूझबूझ से काम लेता है। उसकी हर फसल पैदावार ही उसके भरण पोषण का आधार होती है। अगर किसान एक फसल पैदावार लेने से भी वंचित रह जाए तो उसके सामने कर्जा लेने के अलावा कुछ भी विकल्प नहीं बचता है। ऐसे में कठिन एवं दुर्गम कार्य करने से किसान सदा ही कतराता रहता है। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी रेतीले क्षेत्र का किसान गरीबों के बादाम मूंगफली उगाने से नहीं चूकता है। किसान के लिए मूंगफली उगाना बहुत ही लाभप्रद साबित हो रहा है। यह सत्य है कि किसान को इस नई फसल की पैदावार लेने में अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है विशेषकर कई रोग लग जाते हैं और उसकी फसल पैदावार में खलल डाल उसे आगे इस प्रकार की फसल पैदावार लेने से रोकते हैं।
सर्दियों के मौसम में मूंगफली को भूनकर कुछ गरीब जन न केवल अपनी रोटी रोजी कमाते हैं अपितु गरीब लोगों को उनका प्रमुख बादाम देते हैं। लोग भी इसे बड़ चाव से खाते हैं। किसान यदा कदा ही मूंगफली बोने का साहसिक कार्य करते रहे हैं किंतु अब महेंद्रगढ़ जिला में भी मूंगफली की अच्छी पैदावार ली जाने लगी है। किसानों के खेतों से ही मूंगफली की पैदावार को खरीददार ले जाते हें और अच्छी आय का स्रोत बनती जा रही है। किसान मूंगफली उगाकर न केवल खेत की उर्वरा शक्ति को बनाए रखता है अपितु उसकी आय में अन्य फसल के मुकाबले कम इजाफा नहीं होता है। कृषि वैज्ञानिक मानते हैं कि मूंगफली की जड़ों से ही नहीं अपितु इसके पत्तों से भी उत्तम खाद बनकर खेत की उर्वरा शक्ति को बनाया जा सकता है। ऐसे में किसान के लिए मूंगफली उगाना बेहतर साबित हो रहा है।
हरियाणा के जिला महेंद्रगढ़ में जहां पानी की कमी है और राजस्थान की सीमा से सटा होने के कारण नरम एवं रेतीली मिट्टी मिलती है किंतु यहां पर रेतीली मिट्टी में भूमिगत सब्जियां एवं फसल बेहतर पैदावार दे रहे हैं। आलू, शकरकंदी, लहसुन, प्याज एवं मूंगफली जैसी फसलें जो भूमि के नीचे फैलती एवं फूलती हैं, के लिए नरम एवं रेतीली जमीन ही कारगर साबित हो रही है। धीरे-धीरे किसानों का रुझान अब इन फसलों के अलावा मूंगफली उगाने की ओर बढ़ता ही जा रहा है। किसान इस क्षेत्र में मूंगफली की फसल के नया होने के कारण इसमें लगने वाले रोगों से अनभिज्ञ हैं और कृषि परामर्श कर पाना ग्रामीण किसानों के लिए आसान काम नहीं रहा है।
इतना कुछ होने के बावजूद भी अब किसान इतनी मूंगफली उगाने लग गए हें कि किसी बाहरी प्रदेश से नहीं मंगवानी पड़ रही है। किसान अपनी पैदावार का उचित दाम घर बैठे बिठाए ही ले लेता है। किसान को ऐसे में मंडियों में जाने की ही जरूरत नहीं हे। उधर किसान अपने खेत में मूंगफली उगाकर लाभ भी उठा रहा है क्योंकि प्रति वर्ष किसान को अपने खेत में भारी मात्रा में खाद एवं उर्वरक डालना पड़ता हे। मूंगफली की फसल उगाकर हजारों रुपये के उर्वरक डालने से बच जाता हे क्योंकि मूंगफली जब तक खेत में खड़ी होती है तब तक इसकी जड़े गहराई में जाती हैं और वहां पर पोषक तत्वों की आपूर्ति करती ही है वहीं जब पत्ते गिरते हैं तो उनका खाद भी बनता है। यह खाद बेहतर खाद माना जाता है।
किसान तीन प्रकार का खाद प्रयोग करता है जिसमें गोबर का खाद, हरा खाद एवं कंपोस्ट खाद प्रयोग में लाता है वहीं नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाशियम उर्वरक भी काम में लाता है। जहां तक उर्वरकों का सवाल है उसे खरीदकर लाने पड़ते हैं वहीं खाद अपने घर पर भी पशुओं के मलमूत्र से तैयार कर लेता है। इनमें हरा खाद बेहतर खादों में से एक माना जाता हे। हरा खाद मूंगफली से भी तैयार करता हे। यह भी उल्लेखनीय है कि मूंगफली के पत्ते भारी संख्या में गिरते हें जो खाद का काम करते हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि मूंगफली पैदावार के बाद कोई भी फसल पैदावार ली जाती है वह बेहतर पैदावार देती है। ऐसे में मूंगफली के गुणों से किसान धीरे-धीरे परिचित होता जा रहा है। इस प्रकार गरीबों के बादाम किसान का बेहतर काम बनते जा रहे हैं।
सर्दी के मौसम में मूंगफली की मांग अधिक रहती है जिसके चलते उन्हें घर बैठे ही खरीददार मिल जाते हैं। किसानों की ये मूंगफली उन्हें अच्छी आय प्रदान करती हैं। यही कारण है कि किसानों का रुझान इस ओर बढऩे लगा है। वैसे भी गरीबों के बादाम को बाजार में भूनकर बेचने वाले भी गरीब तबके के अधिक लोग होते हैं। अत: गरीबों के लिए मूंगफली एक वरदान साबित हो सकती है। किसान के लिए भी लाभकारी है तो गरीब के लिए भी लाभकारी है। उच्च ऊर्जा प्रदान करने वाली मूंगफली खाने में अति स्वादिष्ट होती है।
समय बीताने, दोस्तों के साथ गपशप करने तथा टे्रेन एवं बसों के सफर में लोग मूंगफली खाते देखे जा सकते हैं। किसी भी भीड़ वाले स्थान पर तो भारी मात्रा में मूंगफली भूनकर देते या रेहडिय़ों पर बेचते देखे जा सकते हैं।
डा. होशियार सिंह यादव
मोहल्ला-मोदीका
कनीना-123027
जिला-महेंद्रगढ (हरियाणा)
फोन-9416348400