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Wednesday, June 8, 2022

                              नेपियर घास
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सेंचरस पर्पूरियस
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 पेनिसेटम पर्पूरियस
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 हाथी घास/युगांडा घास
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 हाथी घास/युगांडा घास कहने को तो नेपियर एक घास है किंतु यह घास कुल का पौधा नहीं होता। इसे वैज्ञानिक भाषा में सेंचरस पर्पूरियस/ पेनिसेटम पर्पूरियस नाम से जाना जाता है। यह पोएसी कुल का पौधा होता है जो भारत की उत्पत्ति नहीं है अपितु अफ्रीका की पैदावार है। इसके पैदा करने में पानी एवं खाद आदि की बहुत मक जरूरत होती है। इसके तनों की मदद से इसे आसानी से उगाया जा सकती है जो बहुत कम और बहुत अधिक ताप को सहन कर सकती है। अफ्रीका में अपने आप उग जाती है।
 नेपियर घास वर्तमान में किसानों के लिए योगदान नहीं अपितु वैज्ञानिकों के लिए भी अनेक शोध का कारण बनी हुई है। घास इसलिए कहते हैं कि पशुओं के हरे चारे के रूप में काम में लाई जाती है किंतु यह बाजरे से बिल्कुल मिलती-जुलती तथा इसके तने को देखें तो गन्ने और बाजरे जैसा ही होता है। कभी-कभी झुंडे एवं बांस जैसा भी पौधा बन जाता है किंतु यह बार-बार काटी जा सकती है। एक बार में ही एक पौधे से 50 से 60 किलो हरा चारा प्राप्त हो सकता है। इसलिए किसानों के लिए अधिक लाभप्रद है। सबसे बड़ी विशेषता इस पौधे पर बीजी बनते हैं बिल्कुल बाजरे जैसे भुट्टे भी लगते हैं किंतु इसकी पैदावार बढ़ानी हो तो इसके पके हुए तने को काटकर गन्ने की भांति भूमि में दबा दिया जाता है और यह घास उत्पन्न हो जाती है। हरा भरा पौधा दूर से लुभा लेता है। यह पौधा बहुत भारी हो जाता है जिसको देखकर ही लगता है कि यह हाथी घास है।
वैज्ञानिकों के लिए यह शोध का विषय बना हुआ है क्योंकि एक बार लगा देने के बाद कई सालों चलती रहती है। बार-बार काटी जाती है तथा एक बार में एक पौधे से 50 से 60 किलो चारा आसानी से प्राप्त हो जाता है और घास को देखकर ही पता लग जाता है कि यह नेपियर घास है। जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बहने से रोकती है। हवा के दबाव को कम करती है, कागज उद्योग में काम आती है तथा बायोगैस, बायो तेल एवं चारकोल आदि के निर्माण में भी काम में लाते हैं।
 कभी-कभी इस घास को देखकर ऐसा लगता है जैसे बांस का पौधा है। बांस के पौधे की भांति बहुत तेज गति से बढ़ती है। यह एक बीजपत्री पौधा है जिसके बीज में केवल एक दल पाया जाता है परंतु बीजों की बजाय इसके तने से ही दूसरा पौधा तैयार किया जा सकता है।
प्रतिवर्ष पशुओं के लिए सूखा चारा, हरा चारा तथा सांद्र चारे की जरूरत होती है जो इसी पौधे से प्राप्त किया जाता है। साल में कई बार उगाई जा सकती है ,पर एक बार उगाए जाने पर कई सालों तक चलती है। इसलिए भी किसानों के लिए घास वरदान बन गई है। गन्ने की भांति इस में अनेक पोरियां होती है जो अंदर से मीठी होती है इसलिए पशु इसको चाव से खा लेते हैं।




 नेपियर घास को बीजों से भी पैदा किया जा सकता है। नेपियर के ताने को काटकर ही तैयार की जाती है क्योंकि किसान पशु पालता है पशुओं के लिए सूखा, हरा चारा तथा सांद्र चारे की जरूरत होती है जिसमें से दो चारों की पूर्ति नेपियर घास कर सकती है। धीरे-धीरे लोगों का किसानों का रुझान इस घास की ओर बढ़ गया है। उद्योगों की दृष्टि से पशु का दूध बढ़ाती है क्योंकि यह पौष्टिक चारा होता है।
 नेपियर घास चारे के रूप में अधिक उगाई जाती है इसलिए डेयरी उद्योगों में बहुत प्रसिद्ध है। अफ्रीका में डेयरी उद्योगों के लिए यह घास अधिक उगाई जाती है। गाय एवं भैंस आदि इसे आसानी से खाते हैं दूसरे पशु देश को खा लेते हैं। युगांडा में उगाई जाने वाली घास बाल रहित होती है अधिक पैदावार देती है। सबसे बड़ी विशेषता है कि कम पानी और कम तत्वों से उगाई जा सकती है।
 किसान विशेषकर पशु पाल कर दूध प्राप्त करते हैं। दूध प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के चारे पैदा करते हैं या बाजार से खरीद कर लाते हैं ताकि दूध पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सके। परंतु किसानों की नजरें लगातार नेपियर घास की ओर बढ़ी है ताकि सुधार से अधिक लाभ कमाया जा सके। इस पर खर्चा बहुत कम आता है तथा लाभ अधिक देती है। किसान इस घास को देखकर अधिक खुश है।






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