गोगा
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(अचिरांथस एस्पेरा)
गोगा पर्व पर यह पूजा जाता
अपमार्ग यह शाक कहलाता
डविल्स होर्सहीप कहते हैं
खरपतवार के रूप में आता,
जंगल, खेत व पुराने घरों में
खड़ा मिलता बहुत अधिक
21 पत्ते गणेश पूजा के काम
हृदय के रोगों को करे ठीक,
सैकड़ों रोगों में काम आता है
गुर्दे की पथरी निकाल देता है
नारी रोगों में बहुत उपयोगी है
उल्टे कांटों से पकड़ लेता है,
हरे भरे पत्ते से लदा मिलता है
सर्प काटने पर काम में आता
एक वर्षीय हर्ब यह कहलाता
घर आंगन में सभी को सुहाता,
किसी प्रकार की ब्लीडिंग हो
कारगर औषधि का काम करे
ग्रामीण क्षेत्रों में गोगा कहलाए
देखकर इसको जन लगते डरे।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना***
अपामार्ग(गोगा)
अचिरांथिस अस्पेरा
बरसात का मौसम जब आए
चिरचिटा, लटजीरा उग जाए
गणेश पूजा में यह काम आए
भारत में ये खरपतवार कहाए,
ग्रामीण क्षेत्र में गोगा कहलाता
विभिन्न रोगों में काम ये आता
स्त्रि रोगों में रामबाण कहलाता
ओला कांटा इस पर ही आता,
कपड़ों के कांटा जब चिपटता
दूर दराज तक यह पहुंच जाता
जड़ व पत्ता बहुत काम आता
जीव जंतुओं को बहुत लुभाता,
महिला के गर्भपात में बढ़ाता
जब महिला बच्चा जन जाती
कितनी ही बीमारी लग जाती
ब्लीडिंग को शाक रोक पाती,
बहु मासिक धर्म , ल्युकोरिया
कितने ही रोगों को दूर भगाता
त्वचा रोग हो या कुत्ता काटता
झटपट औषध आराम दिलाता,
सर्दी, खांसी या हो फिर ड्रोप्सी
अंग जले या त्वचा के हो रोग
गर्भ पूर्व समय या गर्भ के बाद
रोग लगे तो करे इसका उपभोग,
किसान इसे उखाड़कर फेंकता
आम आदमी है अनभिज्ञ इससे
कोई हो बीमारी तो लाओ घर
दवाएं बनती जड़, पत्ता इसके,
बहु उपयोगी शाक ये कहलाए
रोते हुए मरीज को यह हंसाए
रोगों को दूर करता लाए बहार
पेट रोगों को जल्द दूर भगाए।।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
लटजीरा
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अपामार्ग
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चिरचिटा
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अचिरेंथस एस्पेरा
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ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत औषधियां और वनस्पतियां पाई जाती है जिनका लोगों को ज्ञान न होने से उनका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है किंतु यदि बाजार में किसी पंसारी की दुकान से महंगे दामों पर खरीदनी पड़ती है। ऐसी ही एक वनस्पति अपामार्ग है जिसे लटजीरा या चिरचिटा नाम से भी जाना जाता है।
यह एक ऐसी औषधि है जिसका विशाल औषधीय गुणों के कारण गोगा पर्व पर भी ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा की जाती हैं। इसकी पूजा करने के पीछे भी यही कारण है कि यह घरों में एक बहु औषधीय पौधा है। यदि देखा जाए तो इसके औषधीय गुणों को हम कभी नहीं भुला सकते। वास्तव में फल कांटे की भांति काम करते हैं जो उल्टे होते हैं इसलिए लोग अक्सर ओला कांटा कह देते हैं।
जब कभी इन पौधों के बीच से गुजरना होता है और पौधे पर फल पके हुये हो तो तो यह कपड़ों के भारी मात्रा में चिपक जाते हैं। लेकिन ध्यान रहे भू्रट और मसखरा अलग पौधे है जबकि लटजीरा अलग पौधा है।
यह एक शाक होता है अक्सर जंगलों ,बंजर भूमि पर पर्याप्त संख्या में मिलता है।
यह गोल पत्तों वाला होता है। तने पर नीचे चौड़े पत्ते होते हैं तथा ऊपर के पत्ते छोटे होते चले जाते हैं। उसके ऊपर के लंबा डंठल बनता है जिस पर फूल व फल लगते हैं। फल के कठोर होते हैं इनका रंग प्रारंभ में गुलाबी लाल रंग होता है।
अपामार्ग बहुत प्रसिद्ध औषधीय पौधा होता है जो वर्षा ऋतु में बीजों से अंकुरित होता है तथा शीत ऋतु आने पर गुलाबी रंग के फूल आते हैं और इसके बीज ऐसे लगते हैं जैसे चावल हो। सर्दियों में के सभी भाग जड़, बीज, फूल, पत्ते, तना और मूल इकट्ठे कर लिए जाते हैं। उन्हें छाया में सुखाकर उन्हें वर्ष भर प्रयोग करते हैं। इसे वज्रदंती भी कहते हैं क्योंकि दातुन करने से दांत एवं सुंदर चमक वाले बन जाते हैं। विषैले कीट काट जाते हैं तो उस समय इसके रस को उबले हुये तेल में कीट काटने वाले स्थल पर लगाया जाता है जिससे लाभ होता है।
गोगा में अनेकों रासायनिक पदार्थ पाए जाते हैं जिनमें से लिनोनीन, ओलियानोलिक अमल आदि प्रमुख हैं। जहां पुराने समय से इस पौधे का रस दीवार के प्लास्टर में मिलाकर प्रयोग किया जाता रहा है माना जाता रहा है ताकि किसी प्रकार के रोगाणु आदि घर में प्रवेश नहीं करते वहीं सुंदरता बढ़ाता हे। विभिन्न पर्वों पर किसकी पूजा की जाती है। विशेषकर गणेश चतुर्थी पर इसके पत्तों द्वारा पूजन किया जाता है। कई देशों में इसका उपयोग किया जाता है।
कुत्ते के काटने से हाइड्रोफोबिया रोग हो जाता है उस समय यह काम आता है वहीं सांप/ बिच्छू आदि काटने पर विष का निवारण करने में भी काम में लेते हैं। नेत्र रोग, त्वचा के रोग में फूलों को चीनी में घिस कर गोलियां बनाई जाती है। पत्तियों का रस बिच्छू के काटने पर कारगर माना जाता है। पौधे की राख से मिलने वाले पोटाश से कपड़े धोने के भी काम लिया जाता है, लकवा के समय यह बहुत काम आता है। प्रसूति स्त्री में, गर्भपात, प्रसूति के समय रक्त स्राव के उपचार में बहुत कारगर होता है जिसमें कई क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है। मलेरिया के लक्षणों को कम करने में औषधि के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।
लटजीरा वैसे तो अनेक रोगों में काम आता है लेकिन खांसी, दमा रोगों के वक्त कारगर माना जाता है। लटजीरा वास्तव में चौलाई कुल का पौधा है जिसे अपामार्ग नाम से जाना जाता है। अपामार्ग का अर्थ होता है जो रोगों को संशोधित करने वाला। यह बढ़ी हुई भूख को शांत करने के काम आता है। यह एक दिव्य पौधा माना जाता है। इसकी लंबाई कोई अधिक नहीं होती, मुश्किल से 2 फुट के करीब हो जाती है। आंधा सीसी, नेत्र रोग, उदर विकारों में, रक्त शोधन, बुखार में काम आता है। उसकी जड़ को भी लोग चेचक होने पर चेचक के दानों को साफ करने के लिए जड़ को पीसकर लगाते हैं।
लटजीरा हैजा, गठिया, बवासीर,पथरी में, दांत के दर्द, ततैया आदि काटने पर विष दूर करने, भूख बढऩे पर कम में लाया जाता है। इसका अधिक प्रयोग करने से कुछ दोष नजर आते हैं जैसे आंखें लाल हो जाती है।
***होशियार सिंह, लेखक, कनीना**
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