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Wednesday, June 3, 2020


पत्थरचटा
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पत्थरचट्टा
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 ब्रायोफिलम पिनेटम
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क्लांचो पिनेटम
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वायु संयंत्र/ कैथेड्रल घंटियां/ जीवन संयंत्र/ चमत्कार पत्ती/गोएथे
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 यह एक पादप होता है जो पत्तों द्वारा ही जनक करता है। यह पथरी का रामबाण इलाज है। इसके पत्तों से नए पौधे पैदा होते हैं और गिरकर नए पौधे का रूप धारण कर लेते हैं। पत्थरचट्टा विभिन्न देशों में पाए जाते हैं। यह अकसर गमले में सजावट के लिए उगाया जाता है।
यह पौधा पत्तों में पानी इकट्ठा कर लेता है। इसके पत्ते चौड़े हरे दांतेदार सिर होते हैं। यह पौधा लाल गुलाबी रंग के फूल प्रदान करता है जो लंबी ट्यूब जैसे होते हैं। ब्रायोफिलम या पत्थरचट्टा हर जगह पाया जाता है। इसके अनेकों नाम है इसे अकसर पत्ती तोड़ कर गमले में डाल दिया जाता है और नया पौधा बन जाता है। बाजार में इसके कैप्सूल में मिलते हैं।
पत्थरचट्टा एक ऐसा पौधा होता है जिसमें जहरीले पदार्थ भी पाए जाते हैं जो हृदय  को नुकसान पहुंचा सकते हैं किंतु गुर्दे की पथरी के लिए यह बेहतर माना जाता है। इसके पत्ते ही काम में लेते हैं, सिर दर्द में भी यह काम में लाया जाता है।
 इस पौधे के जहां दो वानस्पतिक नाम होते हैं ब्रायोफिलम पिन्नाटम और क्लाचों पिनेटम जिसे सामान्य नामों से से जाना जाता है। इसे वायु संयंत्र/ कैथेड्रल घंटियां/ जीवन संयंत्र/ चमत्कार पत्ती और गोएथे आदि भी कहते हैं। यह मेडागास्कर के मूल पौधा है जो एक रसीला होता है। यह गर्मी को सहन करने की क्षमता रखता है तथा अपनी पत्तियों में पानी रखता है ताकि कम बारिश में भी आसानी से जी सके।यह एक विशेषता है जो इसके जीनस के कुछ अन्य सदस्यों के साथ आम है। कई लोग वर्तमान में इस पौधे को कलंचो पिन्नाटा भी कहते हैं।
   ब्रोयोफिलम बारहमासी, रसीला, शाक होता है। प्राय एक मीटर तक बढ़ सकता है। इसके तने में पानी भरा होता है तथा लंबे एवं बेलनाकार के होते हैं। छोटा होता है तो प्राय लाल रंग का होता है बाद में हरे रंग को तथा पत्ते पूर्णरूप से हरे नहीं होते हैं।
इसकी पत्तियों स्रद्मह्य फीलोक्लाडेस कहा जाता है। वे मोटी, दांतेदार सिरे,पीले  लाल रंग की होती हैं।

पोघे की दांतेदार पत्तियों में कलियां बनती हैं जो बाद में धरती पर गिरकर पौधा बन जाती हैं। इस आधार पर भी पौधे की अच्छी प्रकार से पहचान की जा सकती है।
पौधे के शीर्ष पर अनुकूल परिस्थितियों में लाल-नारंगी फूल लगते हैं। फूल नली के आकार के होते हैं। यह पौधा अति आक्रामक होता है जो एक बार कहीं पैदा हो जाये तो लगातार बढ़ता रहता है। लेखक गोएथे के नाम पर इस पौधे को गोएथे नाम से भी जाना जाता है। इस लेखक गोएथे को इस पौधे के प्रति गहन लगाव था और इस पौधे को उपहार के रूप में देता था। 
 कलन्चो पिन्नाटा को प्राय सजावटी पौधे के रूप में उगाया जाता है। गर्म क्षेत्रों में कलानचो पिन्नता को बगीचों में उगाया जाता है। अगर पशु इसे खा ले तो उनके हृदय में जहर पैदा कर सकता है। यह उच्च रक्तचाप के लिए उपचार के रूप में काम आता है।
पत्थरचटा के पत्तों के रस का उपयोग गुर्दे की पथरी के लिए भी किया जाता है। इसका उपयोग सिरदर्द को दूर करने भड़काव और कैंसर के से लडऩे के लिए प्रयोग करते हैं।  बुखार में काम आता है। सिरदर्द के समय इसके पत्तों का रस नारियल तेल में मिलाकर माथे पर लगाते हैं।
पथरी के इलाज के साथ-साथ शरीर के विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकालता है। यह वात, पित्त और कफ रोगों में लाभप्रद है। पेट फूलने की समस्या, अल्सर घाव को ठीक करने में भी इसका योगदान होता है। पत्थरचट्टा गुर्दे की पथरी के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। मूत्र विकारों में पत्थरचट्टा की पत्तियों का रस पिलाया जाता है। फोड़ों के इलाज में, उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए उपयोगी है। पत्थरचट्टा सिर दर्द को दूर करता है, आंखों के लिए लाभप्रद है, घाव को ठीक करता है, खूनी दस्त बंद कर सकता है। इसलिए पत्थरचट्टा अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों के लोग प्रयोग करते हैं। अक्सर ये 1 वर्ष तक जीता है तत्पश्चात इसके पत्तों से दूसरे पौधे बन जाते हैं और पुराने पौधे नष्ट हो जाते हैं, नए पौधे फिर से बड़े हो जाते हैं।
 
ब्रायोफिलम बहुत ही लाभप्रद पौधा माना जाता है। मेडागास्कर में यह समस्या बना हुआ है। वास्तव में यह कुछ देशों में सजावटी पौधे के रूप में काम में लाया जाता है। यह त्वचा की बीमारियां में भी काम आता है।
यह औषधीय जड़ी बूटी है जो चोट लगती है उपयोग किया जाता है, वही अल्सर के इलाज में भी काम लेते हैं। महिला प्रजनन प्रणाली की रक्षा करने के लिए भी यह काम आता है, कमर दर्द अक्सर एक समस्या होती है जिसके इलाज में इस पौधे की पत्ती, वहीं पत्ती घाव एलर्जी के काम आती है। माइग्रेन से पीडि़त है उसका इलाज भी पत्तों से किया जाता है। पत्ते गर्म किए जाते हैं ठंडे होने पर माथे पर रखे जाते हैं। यदि पैरों में दर्द होता है तो पत्थर चट के पानी में पैरों को कुछ देर भिगोते हैं। यदि धूप में काम किया है तो सनबर्न नाम से जाना जाता है, त्वचा पर कालिमा छा जाती है, इसका पेस्ट लगाया जाता है। घाव के और पीठ दर्द के इलाज वहीं कान नाक और गले के रोगों से लडऩे में भी कारगर है। शरीर पर झुरियां पड़ती तो तथा मांसपेशियों के खिंचाव में आराम देता है। वास्तव में के पत्ते बहुत कारगर होते हैं फिर भी इसका उपयोग गर्भावस्था के समय, हृदय की बीमारी वाले व्यक्तियों को नहीं करना चाहिये।
** होशियार सिंह, लेखक कनीना, महेंद्रगढ़ हरियाणा**




                             पत्थर चट
अफ्रीका की यह उत्पत्ति
पत्थर चट कहलाता सदा
ब्रायोफिलम जीनस इसका
गमलों में मिलता यदा कदा,
                                      कम पानी में रह सकता यह
                                      पत्तियों से जनन कर लेता है
                                     पत्थर पर भी अगर उग जाए
                                     पत्थरों पर जीवन पा लेता है,
अजीबोगरीब यह पौधा होता
कभी न हो इसका जीवन अंत
घरेलू रोगों का उपचार करता
ये अद्भुत नुसखे बतलाते संत,
                                      घरों में खड़ा यह शोभा देता है
                                      बीजों का कभी नहीं दे उपहार
                                      इसके पत्तों का नित्य सेवन से
                                     नहीं हो सके  रोगों से कभी हार,
पत्थरी जब कभी गुर्दे में हो जाए
ब्रायोफिलम पत्तों का सेवन करते
खून संचरण, ब्लड शूगर रोगों में
मायरेक्ल लीफ प्लांंट याद करते,
                                   पत्थर को जब यह चट कर जाए
                                  शरीर की पत्थरी को नहीं छोड़ेगा
                                  देखने में लगे यह सीधा सादा यह
                                 प्रयोग से खून सदा नशों में दौड़ेगा,
सर्दी जुकाम लग जाए घर में जब
ब्रायोफिलम से किया जाए इलाज



कितने ही रोगों में काम आता यह
इसलिए दिलों पर सदा करता राज।
               *****होशियार सिंह, लेखक, कनीना**


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